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'क्या लोगों के हक की बात करना गुनाह है?' NSA के तहत गिरफ्तार सोनम वांगचुक की पत्नी ने राष्ट्रपति, पीएम से की मार्मिक अपील

Sonam Wangchuk: हिमालियन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) की सह-संस्थापक और सीईओ आंगमो ने वांगचुक की हिरासत की स्थितियों और गिरफ्तारी के बाद से किसी तरह के कोई संपर्क न होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है

अपडेटेड Oct 02, 2025 पर 9:46 AM
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आंगमो ने आरोप लगाया है कि उनपर, HIAL के छात्रों और कर्मचारियों पर निगरानी रखी जा रही है

Sonam Wangchuk Case: लद्दाख के प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को बीते दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में ले लिया गया था। उसके बाद अब उनकी पत्नी गीतांजलि जे. आंगमो ने भारत की राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और अन्य शीर्ष अधिकारियों को एक भावनात्मक पत्र लिखा है। अपनी अपील में उन्होंने सीधे सवाल किया है कि क्या 'लोगों के हक की वकालत करना' कोई गुनाह है। आपको बता दें कि लद्दाख में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद 26 सितंबर को वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया गया था और बाद में उन्हें राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में भेज दिया गया।

सवालों के घेरे में हिरासत की प्रक्रिया

हिमालियन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) की सह-संस्थापक और सीईओ आंगमो ने वांगचुक की हिरासत की स्थितियों और गिरफ्तारी के बाद से किसी तरह के कोई संपर्क न होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि शुरू में कोई FIR दर्ज नहीं की गई थी। उन्हें केवल स्थानीय पुलिस के एक फोन कॉल और एक टेक्स्ट मैसेज से पता चला कि वांगचुक को हिरासत में लिया गया है और जोधपुर ले जाया गया है।


आंगमो ने लिखा, 'आज, यानी 1 अक्टूबर 2025 तक अधिकारी ने न तो मुझे फोन किया है और न ही मेरे पति से बात कराई है। मैं अपने पति की हालत से पूरी तरह अनजान हूं।' उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनसे कानूनी अधिकारों की जानकारी देने का वादा भी पूरा नहीं किया गया, जिससे वह 'स्तब्ध' हैं। आंगमो ने खुलासा किया कि 15 दिन की भूख हड़ताल के कारण शारीरिक रूप से कमजोर होने के बावजूद, वांगचुक को उनके व्यक्तिगत सामान या जरूरी दवाइयां ले जाने की भी अनुमति नहीं दी गई।

'जलवायु योद्धा' पर निगरानी और बदले की कार्रवाई के आरोप

आंगमो ने आरोप लगाया है कि उन्हें और HIAL के छात्रों और कर्मचारियों पर निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि दो कर्मचारियों को बिना किसी स्पष्ट कानूनी आधार के हिरासत में लिया गया और मीडिया कर्मियों को परिसर में प्रवेश करने से रोका गया, जिसे उन्होंने 'आवाज दबाने की कोशिश' बताया। अपने पत्र में आंगमो ने राष्ट्रपति से मार्मिक सवाल करते हुए लिखा है, 'क्या यह गुनाह है कि लद्दाख जैसे पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन, पिघलते ग्लेशियर, शिक्षा सुधार और स्थानीय समुदायों के अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाई जाए? क्या लोगों के हक की वकालत करना और अनियंत्रित विकास गतिविधियों के खिलाफ लड़ना कोई पाप है?'

'सरकार कर रही एक रणनीतिक गलती'

आंगमो ने सरकार के इस कदम को न केवल 'गुनाह बल्कि एक रणनीतिक गलती' भी बताया। उन्होंने जोर दिया कि वांगचुक ने उच्च- ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैनिकों के लिए ऊर्जा-कुशल आश्रय विकसित करके भारतीय सेना में योगदान दिया है, और उन्होंने अपना जीवन इस क्षेत्र की सेवा के लिए समर्पित किया है। उन्होंने अंत में राष्ट्रपति से न्याय के सिद्धांतों को बनाए रखने और वांगचुक की बिना शर्त रिहाई सुनिश्चित करने की भावुक अपील करते हुए लिखा, 'मेरे पति श्री सोनम वांगचुक ने हमेशा भारत की एकजुटता और हमारे महान राष्ट्र की रक्षा में भारतीय सेना के साथ खड़े रहने का समर्थन किया है।'

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