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Stray Dogs In Delhi-NCR: डॉग लवर हो जाएं सावधान! शेल्टर होम में डाले जाएंगे दिल्ली-NCR के सभी आवारा कुत्ते, रोका तो होगी जेल!

Stray Dogs In Delhi-NCR: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में आवारा कुत्तों के खतरे को बेहद गंभीर करार दिया है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार एवं नगर निगमों MCD और NDMC को निर्देश दिया कि वे जल्द से जल्द सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को उठाकर शेल्टर होम में रखें। अगर कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को उठाने में बाधा डालता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी

अपडेटेड Aug 11, 2025 पर 4:46 PM
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Stray Dogs In Delhi-NCR: सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर ऐतिहासिक फैसला दिया है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है

Stray Dogs In Delhi-NCR: सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक आदेश में दिल्ली-NCR के सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों के भीतर शेल्टर होम में डालने को कहा है। राजधानी में आवारा कुत्तों की समस्या को अत्यधिक गंभीर बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 अगस्त) को दिल्ली सरकार और नगर निकायों MCD और NDMC को निर्देश दिया कि वे जल्द से जल्द सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को उठाना शुरू करें। फिर उन्हें उन्हें शेल्टर होम में रखें।

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि फिलहाल लगभग 5,000 आवारा कुत्तों के लिए शेल्टर होम बनाए जाने चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि कुत्तों के बधियाकरण और टीकाकरण के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारी तैनात किए जाने चाहिए। पीठ ने कहा कि आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में रखा जाए। उन्हें सड़कों, कॉलोनियों और सार्वजनिक स्थानों पर न छोड़ा जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया आदेश?


पीठ ने कहा, "हम व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए ये निर्देश जारी कर रहे हैं।" साथ ही, उसने यह भी कहा कि शिशुओं और छोटे बच्चों को किसी भी कीमत पर आवारा कुत्तों से बचाना होगा, जिनके काटने से रेबीज होता है। सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर एक हेल्पलाइन बनाने का भी निर्देश दिया ताकि कुत्तों के काटने के सभी मामलों की तुरंत सूचना दी जा सके। शीर्ष अदालत ने 28 जुलाई को दिल्ली में कुत्तों के काटने से रेबीज फैलने की मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया था।

शीर्ष अदालत ने दिल्ली की बीजेपी सरकार, MCD और NDMC को निर्देश दिया है कि वे तत्काल प्रभाव से आवारा कुत्तों को सभी इलाकों से पकड़ने का काम शुरू करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कदम बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित रखने के लिए बेहद जरूरी है। ताकी वे बिना किसी डर के दिल्ली के पार्कों और सड़कों पर जा सकें। कोर्ट के इस आदेश का मकसद देश की राजधानी को आवारा कुत्तों से मुक्त बनाना है।

डॉग लवर पर होगी कार्रवाई?

पीटीआई के मुताबिक, कुत्तों के काटने की घटनाओं से निपटने के लिए कई निर्देश पारित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को उठाने में अधिकारियों के काम में बाधा डालेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी है कि ऐसे किसी भी विरोध पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि फिलहाल किसी को भी कुत्तों को गोद लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

क्या है अवमानना?

अवमानना का मतलब है सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करना या उल्लंघन करना। जब कोई शख्स, ग्रुप या NGO शीर्ष अदालत या किसी अन्य कोर्ट के आदेश या निर्देश की अवहेलना या उल्लंघन करती है, तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाता है। ये ऐसा अपराध है, जो कोर्ट के अधिकार को कमतर आंकता है। ये कोर्ट का अपमान करता है या न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने की कोशिश करता है।

यानी अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आवारा कुत्तों को पकड़ने में यदि कोई व्यक्ति या NGO बाधा डालती है तो ये कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी। ऐसे में उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इसमें जुर्माना और जेल की सजा दोनों शामिल हो सकते हैं।

कितने तरह की होती है अवमानना?

कोर्ट की अवमानना दो तरह की होती है। यदि कोई शख्स कोर्ट के आदेशों या निर्देशों का जानबूझकर उल्लंघन करता है तो ये सिविल अवमानना कहा जाता है। जबकि कोर्ट की प्रतिष्‍ठा को ठेस पहुंचाने, अपमानजनक टिप्पणी करने या अदालत में चल रही कार्यवाही को बाधित करने को आपराधिक अवमानना कहा जाता है।

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सुप्रीम कोर्ट को अपनी अवमानना के लिए सजा देने की शक्ति भारतीय संविधान के आर्टिकल 129 और 142(2) में दी गई है। कोर्ट की अवमानना एक्ट, 1971 प्रमुख कानून है। अवमानना के दोषी व्यक्ति को अधिकतम छह महीने की जेल या 2,000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।

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