Removal Of Stray Dogs: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (7 नवंबर) को निर्देश जारी करते हुए कहा कि सभी सार्वजनिक स्थानों जैसे शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, सार्वजनिक खेल परिसरों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड और डिपो में आवारा कुत्तों की एंट्री को रोकने के लिए उचित बाड़ लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में आवाार कुत्तों के काटने की घटनाओं में खतरनाक वृद्धि पर चिंता व्यक्त की। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की तीन जजों की विशेष पीठ ने आवारा कुत्तों के खतरे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए ये निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों और अस्पतालों जैसे सार्वजनिक क्षेत्रों में कुत्तों द्वारा काटे जाने के मामलों में खतरनाक वृद्धि पर शुक्रवार को गौर करते हुए निर्देश दिया कि ऐसे कुत्तों को शेल्टर होम में भेजा जाना चाहिए। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की विशेष पीठ ने आवारा कुत्तों के मामले में कई निर्देश पारित किए। उसने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे से मवेशियों और अन्य आवारा पशुओं को हटाना एवं उनका शेल्टर होम सुनिश्चित किया जाए।
पीठ ने अधिकारियों को सरकारी एवं निजी शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों आदि के परिसरों में आवारा कुत्तों का प्रवेश रोकने का निर्देश दिया ताकि कुत्तों द्वारा काटे जाने की घटनाओं को रोका जा सके। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि ऐसे संस्थानों से हटाए गए आवारा कुत्तों को वापस उन्हीं स्थानों पर नहीं छोड़ा जाए।
पीठ ने अधिकारियों को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) सहित हाईवे के उन हिस्सों की पहचान करने के लिए एक संयुक्त अभियान चलाने को कहा, जहां आवारा जानवर अक्सर पाए जाते हैं।मामले में आगे की सुनवाई के लिए 13 जनवरी की तारीख निर्धारित की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन नवंबर को कहा था कि वह उन क्षेत्रों में कुत्तों के काटने की गंभीर समस्या से निपटने के लिए अंतरिम दिशानिर्देश जारी करेगा, जहां कर्मचारी आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं। अदालत 28 जुलाई को एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रहा है। इसमें राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों के काटने से विशेषकर बच्चों में रेबीज फैलने की बात कही गई थी।
इससे पहले तीन नवंबर को शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को उसके समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया था क्योंकि उन्होंने ना तो अनुपालन हलफनामा दाखिल किया था। और ना ही 27 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान उपस्थित थे। पीठ ने कहा कि उक्त दोनों राज्यों को छोड़कर बाकी राज्य पूरी तरह ‘सुस्त’ हैं और उन्होंने हलफनामे दाखिल नहीं किए।
पीठ ने कहा कि दादरा एवं नगर हवेली, दमन एवं दीव और चंडीगढ़ को छोड़कर, अन्य सभी ने अपने अनुपालन हलफनामे दाखिल कर दिए हैं। पीठ ने चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के वकील के इस कथन पर गौर किया कि उन्होंने 30 अक्टूबर को अनुपालन हलफनामा दाखिल कर दिया है, लेकिन वह रिकॉर्ड में नहीं है। पीठ ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री से इसे सत्यापित करने और रिकॉर्ड में रखने को कहा।