Vijay Shah Remarks on Colonel Sofiya Qureshi: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी को लेकर मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को फटकार लगाते हुए कहा कि उन्हें संवेदनशील होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस प्रकार की अशोभनीय टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री विजय शाह की माफी पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या यह कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए 'मगरमच्छ के आंसू' हैं। शीर्ष अदालत ने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ शर्मनाक टिप्पणी को लेकर शाह से कहा कि आपके बयान से पूरा देश शर्मसार है।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी को मंगलवार (20 मई) सुबह 10 बजे तक आईजी रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसआईटी में SP रैंक की एक महिला अधिकारी होगी। अदालत ने कहा कि पहली स्थिति रिपोर्ट 28 मई तक दाखिल की जाए।
SIT में महिला अधिकारी भी शामिल
सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह के खिलाफ FIR संबंधी जांच के लिए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का एक SIT गठित किया है। शीर्ष अदालत ने मंत्री से कहा कि जन प्रतिनिधि होने के नाते आपको हर शब्द का इस्तेमाल समझदारी से करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने आपके वीडियो देखे, आप घटिया भाषा का इस्तेमाल करने की कगार पर थे।
विजय शाह के वकील ने कहा कि हम कोर्ट से माफी मांगने को तैयार हैं। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह कोर्ट की अवमानना का मामला नहीं है। हम आपकी माफी स्वीकार नहीं करेंगे। हालांकि, विजय शाह की फिलहाल गिरफ्तारी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मंत्री की 12 मई को की गई टिप्पणी के लिए कड़ी आलोचना हुई जिसके बाद उन्होंने कहा कि अगर उनके बयान से किसी को ठेस पहुंची है तो वह 10 बार माफी मांगने के लिए तैयार हैं और वह कर्नल कुरैशी का अपनी बहन से ज्यादा सम्मान करते हैं। हाई कोर्ट के आदेश के बाद 14 मई को इंदौर जिले में शाह के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।
यह FIR भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने का कृत्य), धारा 196 (1) (B) (अलग-अलग समुदायों के आपसी सद्भाव पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला ऐसा कृत्य जिससे सार्वजनिक शांति भंग होती हो या भंग होने की आशंका हो) और धारा 197 (1) (C) (किसी समुदाय के सदस्य को लेकर ऐसी बात कहना जिससे अलग-अलग समुदायों के आपसी सद्भाव पर प्रतिकूल असर पड़ता हो या उनके बीच शत्रुता या घृणा या दुर्भावना की भावना पनपती हो या पनपने की आशंका हो) के तहत दर्ज की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा?
- जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मंत्री से कहा कि उसने उनके वे वीडियो देखे हैं जिनमें उन्होंने ये टिप्पणियां की हैं और माफी मांगी है। पीठ ने पूछा कि क्या यह माफी मगरमच्छ के आंसू हैं या कानूनी कार्यवाही से बचने का प्रयास हैं।
- जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "इन टिप्पणियों के कारण पूरा देश शर्मसार है... हमने आपके वीडियो देखे, आप बहुत घटिया भाषा का इस्तेमाल करने वाले थे, लेकिन किसी तरह से आपकी समझ कुछ काम कर गई या आपको शब्द नहीं मिले। आपको शर्म आनी चाहिए। पूरा देश हमारी सेना पर गर्व करता है और आपने यह बयान दिया।"
- पीठ ने मंत्री से कहा, "यह किस तरह की माफी थी? आपको सीधे सीधे अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए थी और माफी मांगनी चाहिए थी लेकिन आपने कहा कि अगर आपने यह और वह कहा ... और फिर मैं माफी मांगता हूं। माफी मांगने का यह कोई तरीका नहीं है। आपने जो अशोभनीय टिप्पणियां की हैं, आपको शर्म आनी चाहिए।"
- शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को मंगलवार सुबह 10 बजे तक आईजी रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने को कहा। इस दल में एक महिला अधिकारी भी शामिल होगी। यह दल मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज FIR संबंधी जांच करेगा।
- पीठ ने कहा कि एसआईटी द्वारा पहली स्थिति रिपोर्ट 28 मई तक दाखिल की जानी चाहिए। अदालत ने कहा कि एक जनप्रतिनिधि होने के नाते मंत्री को एक उदाहरण पेश करना चाहिए था और हर एक शब्द का इस्तेमाल समझदारी से करना चाहिए था।