वक्फ रजिस्ट्रेशन की डेडलाइन बढ़ाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, Umeed पर 6 दिसंबर तक डिटेल्स अपलोड करना अनिवार्य

Waqf Registration Deadline: भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 दिसंबर) को Umeed पोर्टल पर वक्फ प्रॉपर्टी की डिटेल्स अपलोड करने की छह महीने की डेडलाइन बढ़ाने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि एप्लीकेंट कट-ऑफ डेट से पहले राहत के लिए अपने-अपने ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं

अपडेटेड Dec 01, 2025 पर 3:04 PM
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Waqf Registration Deadline: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ प्रॉपर्टी डिटेल्स अपलोड करने की 6 दिसंबर की डेडलाइन बढ़ाने से मना कर दिया

Waqf Registration Deadline: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 दिसंबर) को 'उम्मीद' पोर्टल पर 'वक्फ बाय यूजर' समेत सभी वक्फ संपत्तियों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन के लिए डेडलाइन बढ़ाने से इनकार कर दियाजस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे समय सीमा से पहले संबंधित ट्रिब्यूनल से संपर्क करें। सरकार ने 6 दिसंबर तक सभी वक्फ संपत्तियों का डेटा ऑनलाइन UMEED पोर्टल प र दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया है। इसके बाद अब स्थानीय स्तर पर भी काम में तेजी आई है।

पीठ ने कहा, "हमारा ध्यान धारा 3बी के प्रावधान की ओर आकर्षित किया गया है। चूंकि आवेदकों के पास ट्रिब्यूनल के समक्ष उपाय उपलब्ध है इसलिए हम सभी आवेदनों का निपटारा करते हुए उन्हें छह महीने की अवधि की अंतिम तिथि तक ट्रिब्यूनल का रुख करने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं।"

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के अलावा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) नेता असदुद्दीन ओवैसी और कई अन्य ने सभी वक्फ संपत्तियों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन के लिए समय बढ़ाने का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है।


इससे पहले एक वकील ने कहा था कि वक्फ के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन की छह महीने की अवधि समाप्त होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगा दी। इनमें यह भी शामिल है कि केवल वे लोग ही किसी संपत्ति को वक्फ के रूप में दे सकते हैं जो पिछले पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि केंद्र ने दुरुपयोग को देखते हुए ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान को हटा दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रत्याशित रूप से यह मनमाना नहीं था। ‘वक्फ बाय यूजर’ से आशय ऐसी संपत्ति से है, जहां किसी संपत्ति को औपचारिक दस्तावेज के बिना भी धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए उसके दीर्घकालिक उपयोग के आधार पर वक्फ के रूप में मान्यता दी जाती है।

भले ही मालिक द्वारा वक्फ की औपचारिक, लिखित घोषणा न की गई हो। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि वे टेक्निकल दिक्कतों की वजह से पोर्टल पर वक्फ प्रॉपर्टीज की डिटेल्स अपलोड नहीं कर पा रहे थे। साथ ही, वक्फ प्रॉपर्टीज़ के केयरटेकर्स को ढूंढने में भी दिक्कतें आ रही थीं, जिन्हें वेबसाइट पर डिटेल्स अपडेट करनी थीं।

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हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई पोर्टल पर डिटेल्स अपलोड नहीं कर पा रहा है, तो उसके पास वक्फ ट्रिब्यूनल जाने का ऑप्शन है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब पार्लियामेंट ने रजिस्ट्रेशन प्रोसेस से जुड़े झगड़ों को सुलझाने के लिए पहले ही एक खास फोरम बना दिया है, तो वह दखल नहीं दे सकती।

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