Waqf Amendment Act 2025: सुप्रीम कोर्ट वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने संबंधी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी की याचिका सहित करीब अन्य याचिकाओं पर बुधवार (16 अप्रैल) को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार एवं के वी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ ने इस मुद्दे पर इन याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है। वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कुल 73 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें से 10 याचिकाएं आज की सुनवाई के लिए तय की गई हैं।
AIMIM प्रमुख ओवैसी की याचिका के अलावा, शीर्ष अदालत ने आम आदमी पार्टी (AAP) नेता अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, अरशद मदनी, समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैयब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद सांसद मनोज झा द्वारा दायर याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
शीर्ष अदालत में इस मुद्दे पर कई नई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन्हें अभी सूचीबद्ध किया जाना बाकी है। इन याचिकाओं में तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क द्वारा दायर याचिकाएं भी शामिल हैं। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) प्रमुख एवं अभिनेता से नेता बने विजय ने भी इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत का रुख किया है।
वकील हरि शंकर जैन और मणि मुंजाल ने भी एक अलग याचिका दायर कर वक्फ कानून के कई प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी है कि वे गैर-मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं, जिसके बाद CJI ने इसे सूचीबद्ध करने को सहमत हुए। केंद्र सरकार ने आठ अप्रैल को न्यायालय में एक कैविएट दायर कर विषय में कोई आदेश पारित किए जाने से पहले सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया था।
कैविएट किसी पक्षकार द्वारा उच्च न्यायालयों और शीर्ष अदालत में यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि इसे सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए। केंद्र ने हाल में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), जमीयत उलेमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद अन्य प्रमुख याचिकाकर्ता हैं।
सात अप्रैल को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर विचार करने का आश्वासन दिया था। एआईएमपीएलबी ने 6 अप्रैल को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। वकील लजफीर अहमद के मार्फत दायर ओवैसी की याचिका में कहा गया है कि वक्फ को दिए गए संरक्षण को कम करना मुसलमानों के प्रति भेदभाव है और यह संविधान के आर्टिकल 14 एवं 15 का उल्लंघन है।
बीजेपी शासित छह राज्यों ने समर्थन में दायर की याचिका
भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासित मध्य प्रदेश और असम सहित छह राज्यों ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बीजेपी शासित छह राज्यों हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और असम ने अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं।
इनमें वक्फ (संशोधन) अधिनियम को रद्द किए जाने या इसमें परिवर्तन किए जाने की स्थिति में संभावित प्रशासनिक और कानूनी परिणामों को रेखांकित किया गया है। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड, वक्फ (संशोधन) अधिनियम का समर्थन कर रहा है। उसने भी शीर्ष अदालत में एक अर्जी दायर कर कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली ओवैसी की रिट याचिका में हस्तक्षेप करने की अनुमति दिए जाने का अनुरोध किया है।