China's Economy Data: इस साल 2025 की पहली तिमाही में चीन की इकॉनमी उम्मीद से अधिक तेज चाल से बढ़ी है। चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स ने आज बुधवार को इसके आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों के मुताबिक जनवरी-मार्च 2025 में चीन की अर्थव्यवस्था 5.4 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी जबकि न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग ने इकनॉमिस्ट्स के बीच जो पोल कराया था, उसमें 5.2 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान लगाया गया था। मार्च में इंडस्ट्रियल आउटपुट सालाना आधार पर 7.7% की रफ्तार से बढ़ा जो जून 2021 के बाद से सबसे अधिक रहा तो रिटेल सेल्स की ग्रोथ 5.9% रही जो दिसंबर 2023 के बाद सबसे अधिक । इकनॉमिस्ट्स ने रिटेल सेल्स की ग्रोथ का अनुमान 4.3% लगाया था।
सोसायटी जनरल एसए की ग्रेटर चाइना इकनॉमिस्ट मिशेल लैम (Michelle Lam) ने कहा कि रिटेल सेल्स के आंकड़े सरप्राइज रहे और इससे संकेत मिल रहे हैं कि सब्सिडी काम कर रही है। वहीं इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन को लेकर उन्होंने कहा कि आंकड़े मजबूत हैं लेकिन निर्यात के मजबूत आंकड़ों से इसे समझा जा सकता है।
मार्च तिमाही में चीन की इकॉनमी उम्मीद से तेज स्पीड से बढ़ी लेकिन अमेरिकी टैरिफ के चलते आगे रुझान अच्छा नहीं दिख रहा है। इसकी वजह ये है कि ये आंकड़े उस समय के हैं जब अमेरिकी ने चीन पर भारी टैरिफ नहीं लगाया था। अब तो चीन के अधिकतर प्रोडक्ट्स पर 145% तक टैरिफ है जिससे चीन का निर्यात सिकुड़ सकता है और इसका एक अहम विकास इंजन प्रभावित हो सकता है। मार्च तिमाही के आंकड़े जरूर पॉजिटिव हैं लेकिन नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (NBS) ने सतर्कता के साथ अर्थव्यवस्था को अधिक समर्थन देने की जरूरत पर जोर दिया। एनबीएस ने कहा कि बाहरी माहौल लगातार अधिक जटिल और गंभीर होता जा रहा है, घरेलू मांग में बढ़ोतरी की स्पीड अपर्याप्त है।
क्या कहना है एनालिस्ट्स का?
वैश्विक कारोबार और आर्थिक विकास के बिगड़ते माहौल का चीन पर भी असर पड़ना तय दिख रहा है। बिना अधिक प्रोत्साहन के चीन को इस वर्ष 5% के अपने आधिकारिक विकास लक्ष्य को हासिल करने में कठिनाई हो सकती है। यूबीएस ग्रुप एजी, गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक और सिटीग्रुप इंक समेत कई अंतरराष्ट्रीय बैंकों के इकनॉमिस्ट्स ने हाल ही में चीन की 2025 की वृद्धि के लिए अपने पूर्वानुमान को घटाकर लगभग 4% या उससे कम कर दिया है।
अब राहत की बात करें तो इसकी संभावना बढ़ रही है। कुछ इकनॉमिस्ट्स का मानना है कि पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना इस महीने ही ब्याज दरों में कटौती कर सकता है या बैंकों को रिजर्व में कैश रखने की मात्रा में कटौती हो सकती है। वहीं कुछ इकनॉमिस्ट्स का अनुमान है कि निर्यात में गिरावट के कारण बने गैप को भरने के लिए कई ट्रिलियन युआन का अतिरिक्त राजकोषीय उधार और खर्च किया जाएगा।
टैरिफ के प्रभाव से निपटने के लिए चीन को घरेलू मांग में तेजी से वृद्धि करनी होगी, जिसमें उपभोग और निवेश को प्रोत्साहित करना भी शामिल है। लेबर मार्केट की सुस्ती एक प्रमुख कमजोरी बनी हुई है जिसके चलते कंज्यूमर्स स्पेंडिंग को झटका लगा रहा है। अमेरिका से कारोबारी जंग का असर दिखने भी लगा है और इस महीने कारोबारी गतिविधियां तेजी से धीमी हो गई हैं, क्योंकि वैश्विक कंपनियों ने ऑर्डर रोक दिए हैं और उत्पादन कम कर दिया है। फिलहाल स्थिति सामान्य होने के आसार नहीं दिख रहे हैं क्योंकि दोनों में से कोई भी पक्ष हटने के मूड में फिलहाल तो नहीं दिख रहा है।