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US Government Shutdown: अमेरिकी सरकार शटडाउन में गई, बाकी दुनिया और अर्थव्यवस्था के लिए क्या है इसका मतलब?

US Government Shutdown: अमेरिकी सरकार शटडाउन में चली गई। इससे लाखों सरकारी कर्मचारियों को बिना वेतन छुट्टी पर जाना पड़ेगा। घरेलू अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ सकती है। जानिए शटडाउन क्या है और इसका दुनिया भर की इकोनॉमी पर क्या असर पड़ सकता है।

अपडेटेड Oct 01, 2025 पर 3:17 PM
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अमेरिकी सरकार शटडाउन के दौरान डॉलर पर दबाव पड़ सकता है और विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है।

US Government Shutdown: अमेरिका की सरकार बुधवार, 1 अक्टूबर की आधी रात से आधिकारिक तौर पर शटडाउन में चली गई। वजह यह रही कि कांग्रेस नए वित्त वर्ष के लिए फंडिंग को लेकर सहमति नहीं बना पाई। न तो पूरे साल के लिए जरूरी 12 एप्रोप्रिएशन बिल पास हो सके और न ही शॉर्ट-टर्म कंटिन्यूइंग रेजॉल्यूशन पर मंजूरी मिली, जिससे कुछ समय के लिए फंडिंग जारी रह पाती। इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

हाउस स्पीकर माइक जॉनसन ने डेमोक्रेट्स पर आरोप लगाया कि वे अफोर्डेबल केयर एक्ट (ACA) टैक्स क्रेडिट बढ़ाने पर अड़े रहे। वहीं, डेमोक्रेटिक नेता और हाउस माइनॉरिटी लीडर हकीम जेफ्रीज ने पलटवार किया कि रिपब्लिकन सस्ती कवरेज को बचाना ही नहीं चाहते। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस पहले ही कह चुके थे कि शटडाउन होना तय है, क्योंकि डेमोक्रेट्स सही कदम नहीं उठा रहे हैं।

अमेरिकी सरकार शटडाउन क्या होता है?


अमेरिकी सरकार शटडाउन तब होता है जब संसद यानी कांग्रेस और राष्ट्रपति बजट पर सहमति नहीं बना पाते। सरकार का खर्च हर साल बजट से तय होता है। अगर समय पर बजट या अस्थायी फंडिंग पास नहीं होती, तो सरकार के पास कई विभागों को चलाने के लिए पैसे नहीं बचते। ऐसे में कुछ हिस्से बंद हो जाते हैं, जिसे शटडाउन कहा जाता है।

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शटडाउन के दौरान जरूरी सेवाएं जैसे सेना, पुलिस और आपातकालीन हेल्थकेयर तो चलती रहती हैं, लेकिन बाकी गैर-जरूरी दफ्तर और सेवाएं बंद हो जाती हैं। लाखों सरकारी कर्मचारी बिना वेतन छुट्टी पर भेजे जाते हैं और कई योजनाओं का काम रुक जाता है। इसका असर सीधे लोगों और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है।

सरकारी कर्मचारियों पर क्या असर होगा?

कांग्रेसनल बजट ऑफिस का अनुमान है कि शुरुआती दिनों में करीब 7.5 लाख संघीय कर्मचारियों को बिना वेतन छुट्टी (फरलो) पर भेजा जाएगा। इससे रोजाना करीब 400 मिलियन डॉलर का पेरोल खर्च रुकेगा। यह शटडाउन लगभग सात साल बाद हुआ है। इससे हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन से लेकर रेगुलेटरी कामकाज तक कई सेवाएं प्रभावित होंगी।

1977 के बाद यह 21वां शटडाउन है। पिछला शटडाउन दिसंबर 2018 से जनवरी 2019 तक चला था, जो 35 दिन लंबा था। तब करीब 3 अरब डॉलर का नुकसान हुआ और हजारों कर्मचारी रोजमर्रा के खर्च तक पूरे करने में संघर्ष करने लगे। इस बार भी एजेंसियों की तैयारी धीमी है। GOP बिल में 21 नवंबर तक फंडिंग का प्रस्ताव है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगर कुछ डेमोक्रेट्स समर्थन दें तो यह जल्दी पास हो सकता है। हालांकि, ज्यादातर शटडाउन कुछ दिनों में खत्म हो जाते हैं।

फरलो कर्मचारियों को बिना वेतन छुट्टी पर भेजा जाता है। वहीं, जरूरी सेवाओं में लगे कर्मचारी (जैसे कानून प्रवर्तन, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर और सैन्यकर्मी) काम तो करते हैं, लेकिन भुगतान रोक दिया जाता है। शटडाउन खत्म होने के बाद सभी को बकाया वेतन तो मिलता है, लेकिन महीने-महीने की कमाई पर जीने वाले परिवारों को संकट झेलना पड़ता है।

 छोटे अमाउंट के लोन की मांग बढ़ी 2025 में 1 से 3 लाख के बीच के पर्सनल लोन की डिमांड 13% से बढ़कर 30% हो गई। ₹50,000 से कम और ₹50,000-1 लाख की कैटेगरी में भी डबल डिजिट ग्रोथ देखने को मिली। लोग अब कम रकम के लोन लेकर जल्दी चुकाने की सोचते हैं।

कौन सी सेवाएं रुकेंगी और कौन सी चलेंगी?

शटडाउन का मतलब सरकार का पूरा काम रुकना नहीं है, लेकिन कई अहम सेवाएं प्रभावित हो जाती हैं। छोटे कारोबारियों के लिए लोन आवेदन, खाद्य और दवा निरीक्षण, पासपोर्ट और वीजा सेवाओं का कुछ हिस्सा ठप हो जाएगा। सोशल सिक्योरिटी और वेटरन सर्विसेज सीमित रूप में चलेंगी। TSA एजेंट और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर बिना वेतन काम करेंगे। इससे हवाई अड्डों पर लंबी कतारें लग सकती हैं। नेशनल पार्क और म्यूजियम बंद हो सकते हैं या सीमित समय के लिए खुलेंगे।

हालांकि, डाक सेवा (USPS), मेडिकेयर और सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट्स पर असर नहीं पड़ेगा। 2018-2019 के शटडाउन में 11 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। इसमें से 3 अरब डॉलर हमेशा के लिए चला गया। इस नुकसान का असर कर्मचारियों, सरकारी कॉन्ट्रैक्टर्स और उन छोटे कारोबारियों पर पड़ा जो सरकारी लोन और परमिट पर निर्भर रहते हैं।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?

कांग्रेसनल बजट ऑफिस के निदेशक फिलिप स्वागेल का कहना है कि छोटा शटडाउन अर्थव्यवस्था पर बहुत असर नहीं डालता, क्योंकि बाद में कर्मचारियों को बकाया वेतन मिल जाता है। लेकिन लंबे समय तक चलने पर यह सवाल खड़ा करता है कि सरकार की असली भूमिका क्या है और योजनाओं पर कितना खर्च होना चाहिए। उन्होंने कहा, 'असर तुरंत नहीं दिखता, लेकिन धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।'

गोल्डमैन सैक्स रिसर्च का मानना है कि पिछली बार शेयर बाजार पर शटडाउन का खास असर नहीं पड़ा था। 1990 के बाद हुए तीन लंबे शटडाउन के दौरान भी इक्विटी मार्केट या तो स्थिर रहे या फिर ऊपर गए। गोल्डमैन सैक्स के चीफ यूएस पॉलिटिकल इकॉनॉमिस्ट एलेक फिलिप्स के मुताबिक, हर हफ्ते का शटडाउन ग्रोथ को लगभग 0.15 प्रतिशत अंक घटाता है। अगर प्राइवेट सेक्टर के असर को भी जोड़ें तो यह 0.2 प्रतिशत अंक तक हो सकता है। सरकार के दोबारा खुलने के बाद अगले क्वार्टर में ग्रोथ उतने ही अनुपात में वापस बढ़ जाती है।

US Government Shutdown (1)

शटडाउन का बाकी दुनिया के लिए क्या मतलब है?

अमेरिकी सरकार का शटडाउन सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था और बाजारों पर पड़ता है। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसके चलते वहां होने वाली सरकारी अस्थिरता अंतरराष्ट्रीय निवेशकों, व्यापारिक साझेदारों और ग्लोबल फाइनेंशियल संस्थाओं को प्रभावित करती है।

शटडाउन के दौरान डॉलर पर दबाव पड़ सकता है और विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है। अमेरिकी सरकारी बॉन्ड और अन्य निवेशों में अनिश्चितता निवेशकों को सतर्क बना देती है। इसके अलावा, बंद होने वाली सरकारी सेवाओं के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार, निर्यात-आयात, कस्टम्स और रेगुलेटरी प्रक्रियाओं में देरी हो सकती है। इससे वैश्विक सप्लाई चेन और निवेश पर असर पड़ता है।

सरल शब्दों में, अमेरिकी शटडाउन का मतलब है कि दुनिया भर के निवेश और व्यापार अमेरिकी आर्थिक नीतियों पर अनिश्चितता का सामना कर सकते हैं, जिससे बाजार में उतार-चढ़ाव और व्यापार में देरी हो सकती है।

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