Delhi Ashram Case: 17 स्टूडेंट्स के यौन शोषण के आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती को दिल्ली पुलिस ने रविवार तड़के आगरा से गिरफ्तार कर लिया है। 62 वर्षीय सरस्वती जिसे स्वामी पार्थसारथी के नाम से भी जाना जाता है वो लगभग दो महीने से फरार चल रहा था। उस पर यौन शोषण और वित्तीय हेराफेरी के गंभीर आरोप हैं। दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में उसकी अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी, जिसके बाद से ही उस पर कानूनी शिकंजा कसता जा रहा था।
बाबा के खिलाफ गलत व्यवहार की शिकायत सबसे पहले एक छात्र और एक वायु सेना अधिकारी द्वारा संस्थान के पीठ को लिखे गए दो पत्रों के माध्यम से सामने आई थी। इन्हीं पत्रों को आधार बनाकर एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद उस पर यौन उत्पीड़न के साथ-साथ धोखाधड़ी के आरोप भी लगे हैं।
कैसे हुई बाबा की गिरफ्तारी?
आरोप सामने आने और एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही चैतन्यानंद सरस्वती फरार चल रहा था। दिल्ली पुलिस की टीमें उसकी तलाश में दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में लगातार छापेमारी कर रही थीं। गुप्त सूचना के आधार पर दिल्ली पुलिस ने उसका पता आगरा, उत्तर प्रदेश में लगाया और रविवार सुबह उसे गिरफ्तार कर लिया।
चैतन्यानंद सरस्वती नई दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट का निदेशक था। आरोप है कि उसने अपनी पद का दुरुपयोग करते हुए छात्राओं को प्रताड़ित किया। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, वह कथित तौर पर छात्राओं को रात को अपने क्वार्टर में आने के लिए मजबूर करता था और उन्हें अश्लील टेक्स्ट मैसेज भेजा करता था। उसने विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि की छात्राओं को निशाना बनाया। स्कॉलरशिप रोकने या फेल करने की धमकी देकर उन्हें यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था। यह भी आरोप है कि वह छात्राओं की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अपने फोन में CCTV का एक्सेस रखा हुआ था।
लाखों की हेराफेरी का भी है आरोप
फरार होने से पहले, आरोपी ने कथित तौर पर लगभग 60 लाख रुपये निकाले थे और माना जाता है कि उसने संस्थान के 30 करोड़ रुपये से अधिक का गबन किया है। पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए सरस्वती से जुड़े विभिन्न बैंक खातों और फिक्स्ड डिपॉजिट में रखे 8 करोड़ रुपये फ्रीज कर दिए है।