साल 2008 के मुंबई हमलों में 166 निर्दोष लोगों की जान गई थी। इसके साजिशकर्ता तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया जा चुका है। राणा को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। जहां कोर्ट ने 18 दिन की हिरासत में भेज दिया है। पटियाला हाउस कोर्ट ने देर रात तक सुनवाई चली। इसके बाद 18 दिन की NIA कस्टडी में भेजने का आदेश दिया गया है। जांच एजेंसी ने तहव्वुर राणा की 20 दिन की हिरासत की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने 18 दिन की कस्टडी मंजूर की है। उसे कड़ी सुरक्षा में NIA हेडक्वार्टर ले जाया गया, जहां दिन में उससे पूछताछ शुरू होगी।
64 साल के तहव्वुर राणा को विशेष विमान से अमेरिका से दिल्ली लाया गया। अमेरिकी गल्फस्ट्रीम G550 विमान दिल्ली के पालम टेक्निकल एयरपोर्ट पर लैंड हुआ था। भारत पहुंचने के बाद राणा की पहली तस्वीर भी सामने आई। जिसमें नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के अधिकारी उसे पकड़े हुए नजर आए। राणा को दिल्ली की तिहाड़ जेल में हाई सिक्योरिटी वार्ड में रखा जाएगा।
NIA ने कोर्ट में रखीं ये दलीलें
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, NIA ने कोर्ट में कहा कि मुंबई हमले की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए हिरासत में लेकर पूछताछ करना बहुत जरूरी है। आतंकी हमलों को अंजाम देने में राणा की भूमिका की भी जांच करेंगे। मुंबई हमले के दूसरे आरोपी डेविड कोलमैन हेडली ने भारत आने से पहले तहव्वुर राणा के साथ पूरे ऑपरेशन पर चर्चा की थी। हमले के दौरान चुनौतियों का अनुमान लगाते हुए हेडली ने राणा को एक ईमेल भेजा था। जिसमें उसने अपने सामान और संपत्तियों का ब्योरा दिया था। हेडली ने राणा को साजिश में इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान के शामिल होने की भी जानकारी दी थी। NIA की तरफ से वकील दयान कृष्णन ने पक्ष रखा। वहीं राणा की तरफ से वकील पीयूष सचदेवा ने मामले की पैरवी की थी।
राणा पाकिस्तानी सेना में रहा डॉक्टर
तहव्वुर हुसैन राणा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के साहीवाल जिले में हुआ था। वहां से राणा ने मेडिकल की पढ़ाई की। इसके बाद पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर में भर्ती हो गया। एक डॉक्टर के रूप में उसकी पहचान एक जिम्मेदार और शिक्षित व्यक्ति की थी, लेकिन साल 1990 के दशक के आखिर में उसने सेना को अलविदा कहा और कनाडा चला गया। कनाडा में नागरिकता पाने के बाद उसने इमिग्रेशन सर्विस का बिजनेस शुरू किया। जिसका नाम 'फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज' रखा। फिर अमेरिका पहुंच गया। यहां से शिकागो में अपना दफ्तर खोल लिया। बाहर से एक सफल प्रवासी उद्यमी दिखने वाला राणा, अंदर से एक साजिश रच रहा था।