अमेरिका में भारत से जा रहा अवैध ड्रग्स? ट्रंप ने पेश की 23 देशों की लिस्ट, पांच पर साधा तेज निशाना

अमेरिका ड्रग्स की समस्या से बुरी तरह जूझ रहा है और इसे लेकर इमरजेंसी की स्थिति में है। अमेरिका में 18 से 44 वर्ष के लोगों की मौत का सिंथेटिक ओपिओइड, खासतौर से फेंटेनाइल अहम कारण बना हुआ है। अब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इसकी सप्लाई को लेकर जिन देशों पर निशाना साधा है, उसमें भारत, चीन और पाकिस्तान समेत 23 देश हैं। जानिए इस लिस्ट में शामिल होने का मतलब क्या है और किन देशों पर अमेरिका अधिक सख्त है?

अपडेटेड Sep 18, 2025 पर 9:11 AM
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भारत, चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान समेत 23 देशों को अमेरिका ने ड्रग्स के लेन-देन या ड्रग्स बनाने वाले देशों की कैटेगरी में रखा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ये बातें अमेरिकी कांग्रेस को एक औपचारिक नोटिफिकेशन में कही है।

भारत, चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान समेत 23 देशों को अमेरिका ने ड्रग्स के लेन-देन या ड्रग्स बनाने वाले देशों की कैटेगरी में रखा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ये बातें अमेरिकी कांग्रेस को एक औपचारिक नोटिफिकेशन में कही है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट क मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति की सालाना औपचारिक घोषणा में दुनिया भर में ड्रग्स की तस्करी, खासतौर से सिंथेटिक ओपिओइड्स को लेकर चिंता जताई है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे अमेरिका और अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया है। ड्रग्स से जुड़ी इस लिस्ट को कभी-कभी मेजर्स लिस्ट कहा जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पांच देशों- अफगानिस्तान, बोलिविया, बर्मा, कोलंबिया और वेनेजुएला की इस बात को लेकर तीखी आलोचना की है कि पिछले साल 2024 में ड्रग्स से जुड़े अंतरराष्ट्रीय नियमों के पालन में ये पूरी तरह से फेल हुए हैं।

किन देशों को रखा जाता है इस लिस्ट में?

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक स्टेट डिपार्टमेंट ने यह स्पष्ट किया है कि ड्रग्स से जुड़ी इस लिस्ट में शामिल होने का मतलब ये नहीं है कि किसी देश की ड्रग्स से निपटने की नीतियों या अमेरिका के साथ सहयोग को लेकर सवाल उठाए गए हैं। इसकी बजाय स्टेट डिपार्टमेंट का कहना है कि लिस्ट में शामिल होने का मतलब ये है कि यह घरेलू कानूनी स्थितियों के बावजूद ऐसी भौगोलिक, कॉमर्शियल रास्ते और इकनॉमिक फैक्टर्स हैं जिसके चलते ड्रग्स बन रहे हैं और इन देशों के जरिए इधर से उधर हो रहे हैं। आसान शब्दों में कहें तो ड्रग्स पर रोकथाम के लिए कोई देश अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रहा है लेकिन उनके यहां से ड्रग्स इधर से उधर हो रहा है तो उसे इस लिस्ट में रखा जा सकता है।

एशिया से इस लिस्ट में भारत, चीन पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बर्मा हैं।


भारत को इसमें एक ऐसे देश के रूप में रखा गया है, जहां से ड्रग्स अमेरिका समेत कई दूसरे देशों में जाता है। वहीं चीन की बात करें तो इसे फेंटेनल और मेथामफेटामाइन के साथ-साथ नाइटाजीन जैसे नए सिंथेटिक ओपिओइड के अवैध निर्माण में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स का दुनिया का सबसे बड़ा स्रोत बताया गया है। ट्रंप ने चीन से इसकी तस्करी रोकने और इसमें शामिल लोगों पर कड़ी और निरतंर कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

पांच देश अधिक निशाने पर

ड्रग्स के अवैध कारोबार को लेकर अमेरिका ने जो सूची तैयार की है, उसमें कई महाद्वीपों के 23 देश हैं। इसमें कोकीन बनाने वाले लैटिन अमेरिकी देशों कोलंबिया और बोलीविया से लेकर डोमेनिकन रिपब्लिक, होंडुरस और कोस्टा रिका जैसे सेंट्रल अमेरिकन ट्रांजिट हब्स शामिल हैं। हालांकि इन 23 देशों में से सिर्फ पांच को ही पिछले साल आधिकारिक तौर पर स्पष्ट रूप से फेल देशों की श्रेणी में रखा गया। सबसे तीखी आलोचना अफगानिस्तान की हुई। तालिबान ने अफीम और दूसरे अवैध नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध लगाया है, फिर भी अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उत्पादन जारी है, और मेथैम्फेटामाइन का बढ़ता उत्पादन हेरोइन निर्यात के साथ जुड़ रहा है। ट्रंप का कहना है कि ड्रग्स से होने वाली आय से अपराधियों को सहारा मिल रहा है और आतंकियों को भी फंडिंग मिल रही है।

अमेरिका में है आपातकाल की स्थिति

ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को घरेलू ओपिओइड इमरजेंसी से जोड़ा है। अमेरिका में 18 से 44 वर्ष के लोगों की मौत का सिंथेटिक ओपिओइड, खासतौर से फेंटेनाइल अहम कारण बना हुआ है। अमेरिका का कहना है कि चीन और अन्य देशों में जहां ये बन रहे हैं, वहां से सप्लाई चेन को काटना अहम है ताकि अमेरिका में होने वाली मौतों को रोका जा सके। इसके लिए अमेरिका का मानना है कि वैश्विक लेवल पर तत्काल और अनिवार्य रूप से सहयोग की जरूरत है।

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