अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिला, जहां एयर इंडिया विमान दुर्घटना के पीड़ितों के परिवार वाले कम से कम अपने प्रियजनों के पार्थिव शरीर को पाने की उम्मीद में अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं। अधिकारियों को पीड़ितों की पहचान करने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि इस घातक दुर्घटना में केवल एक यात्री ही बच पाया। मृतकों के रिश्तेदार शुक्रवार को इमरजेंसी सेंटर में DNA सैंपल देने के लिए इकट्ठा हुए, ताकि उनके प्रियजनों की पहचान की जा सके। एक बड़ी ही कठिन परिस्थिति में एक बॉडी बैग में दो सिर पाए गए, जिसके कारण पूरे DNA टेस्ट प्रक्रिया को दोबारा करने की जरूरत पड़ी, जिसमें लगभग 72 घंटे का समय लगता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में सिविल अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया है, "इसके लिए DNA सैंपलिंग प्रक्रिया को दोबारा करने की जरूरत होगी, क्योंकि ये अंग दो पीड़ितों के हैं और एक ही बैग में नहीं होने चाहिए।"
रिश्तेदार पूरे पार्थिव शरीर पाने की गुहार लगा रहे हैं
शनिवार को एक व्यक्ति अधिकारियों से अपने परिवार के सभी सदस्यों के अंतिम संस्कार के लिए अवशेष देने की अपील करता हुआ देखा गया। हालांकि, उसे बताया गया कि ऐसा करना संभव नहीं है। अधिकारी ने कहा, "उसे मनाना मुश्किल था।"
1,200 बेड वाले सिविल अस्पताल के पोस्टमार्टम रूम के बाहर, जहां स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने DNA टेस्ट के लिए शवों के बैग रखे हैं, व्यथित रिश्तेदार इस उम्मीद में हैं कि अधिकारी हर एक पीड़ित के अवशेष बरामद करने में कामयाब हो जाएंगे।
TOI ने अधिकारी के हवाले से आगे बताया, "हमारे पास एक स्थापित क्लीनिकल प्रोटोकॉल है, जिसमें अवशेषों को बॉडी बैग में रखना, उन्हें कोल्ड स्टोरेज में ट्रांसफर करना, विश्लेषण करना और आखिर में पहचाने गए अवशेषों को ताबूतों में परिवारों को सौंपना शामिल है। हम पीड़ितों के पूरे शरीर के अंगों को वापस पाने का आश्वासन नहीं दे, सकते क्योंकि अवशेष जल चुके हैं।"