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Trump Tariff: ट्रंप को भारत से चाहिए ये चार चीजें, कुछ तो मिल चुकी पहले ही

Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों को अमेरिका में एंट्री पर 25% का टैरिफ लगा दिया। इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने पेनल्टी का भी ऐलान किया है लेकिन यह खुलासा नहीं किया है कि अमेरिका कितनी पेनल्टी लगाएगा। ट्रंप का कहना है कि भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा बहुत अधिक है। जानिए कि आखिर ट्रंप को भारत से चाहिए क्या?

अपडेटेड Jul 31, 2025 पर 9:09 AM
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Trump Tariff: अमेरिका ने भारत पर टैरिफ और पेनल्टी का ऐलान कर दिया है। अमेरिका की कोशिश भारत के साथ अपना व्यापार घाटा कम करने की है और इसी के तहत वह भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। इसी कड़ी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) को भारत से चार चीजें चाहिए जिसमें से एक तो टैरिफ को लेकर हो रही चर्चाओं के दौरान पहले ही मिल चुकी है। बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील अभी तक फाइनल नहीं हो सकी है और ट्रंप ने इसके लिए 31 जुलाई तक का समय दिया गया था और अभी तक ट्रेड डील फाइनल नहीं होने के चलते ट्रंप ने 1 अगस्त से भारतीय सामानों पर 25% टैरिफ और पेनल्टी का ऐलान कर दिया।

भारत से क्या चाहिए ट्रंप को?

ट्रंप के सार्वजनिक बयानों के आधार पर यह स्पष्ट है कि ट्रंप को भारत से कम से कम चार अहम चीजें चाहिए जिसमें से कुछ तो पहले ही मिल चुकी है। अमेरिका चाहता है कि भारत को अमेरिका से कच्चा तेल और लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) खरीदना चाहिए, दूसरा भारत को अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमानों समेत हथियारों की खरीदारी करनी चाहिए और रूस से खरीदारी घटानी चाहिए, तीसरा ये कि टेस्ला जैसी अमेरिकी कार कंपनियों को भारत में आसानी से एंट्री मिलनी चाहिए और चौथा ये कि भारत को अपना एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर अमेरिकी कंपनियों के लिए खोलना चाहिए।


इन पर भारत के रुझान की बात करें तो सिर्फ एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर को लेकर ही भारत पीछे हट रहा है क्योंकि यह सीधे भारतीय किसानों पर असर डाल सकता है। वहीं बाकी की बात करें तो टेस्ला का कारोबार पहले ही मुंबई में शुरू हो चुका है और भारत ने रूस से तेल की खरीद भी घटा दी है और शिपिंग कॉस्ट अधिक होने के बावजूद अमेरिका से तेल खरीद बढ़ाने पर सहमत है।

डिफेंस सेक्टर को लेकर बात करें तो पिछले कुछ वर्षों से रुस पर भारत अपनी निर्भरता कम कर रहा है। अमेरिकी कांग्रेस में दाखिल एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 से वर्ष 2024 के बीच भारत की रूस से डिफेंस सेक्टर की खरीदारी 36% तक घट गई। पहले लंबे समय तक भारत की मिलिट्री सप्लाई का आधे से ज्यादा हिस्सा रूस से आता रहा है। वर्ष 2024 के आखिरी में अमेरिकी कांग्रेस ने बताया था कि भारत की पनडुब्बी मार गिराने वाली क्षमताओं को बढ़ाने के लिए करीब $170 करोड़ के डिफेंस इक्विपमेंट की बिक्री को लेकर बातचीत चल रही है। इस साल की शुरुआत में एचएएल ने ओहियो के जनरल इलेक्ट्रिक के साथ एक एमओयू पर साइन किया था। इसके तहत जनरल इलेक्ट्रिक भारतीय वायुसेना के लिए लड़ाकू विमान बनाएगी। भारत सरकार ने कैलिफोर्निया की जनरल एटॉमिक्स से $400 करोड़ की लागत से 31 हथियारयुक्त ड्रोन की खरीद को भी मंजूरी दी। वहीं एफ-35 की बात करें तो ट्रंप ने बार-बार इसे खरीदने पर जोर दिया लेकिन अभी तक भारत की तरफ से इसे लेकर कोई ऐलान नहीं हुआ है।

भारतीय निर्यात पर टैरिफ को लेकर क्या कहना है एक्सपर्ट का?

अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीय चीजों पर 25% का टैरिफ लगा दिया है। इसे लेकर एलारा कैपिटल की एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और इकनॉमिस्ट गरिमा कपूर का कहना है कि अगर सितंबर–अक्टूबर तक कोई समझौता नहीं हुआ, तो पूरे वर्ष की जीडीपी वृद्धि दर में 20 बेसिस प्वाइंट की गिरावट दिख सकती है। भारत के लिए अमेरिका कितना अहम है, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि वित्त वर्ष 2024 में देश के कुल निर्यात का 17.7% हिस्सा अमेरिका गया था।

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