US Fed Rate Cut: अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने एक बार फिर प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इन्हें 4.25-4.5 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा गया है। फेडरल रिजर्व ने फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की बैठक में यह फैसला लिया। ब्याज दरों को लगातार 5वीं बार जस का तस छोड़ा गया है। नीतिगत अनिश्चितता के बीच अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने अभी भी इंतजार करो और देखो वाली अप्रोच जारी रखी है।
बैठक में अमेरिकी केंद्रीय बैंक के दो गवर्नर ब्याज दरों को जस का तस रखे जाने के फैसले से असहमत रहे। 30 से अधिक वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ। दोनों ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से नियुक्त किए गए हैं और उन्हीं की तरह मानते हैं कि अमेरिकी मौद्रिक नीति बहुत सख्त है। ट्रंप चाहते हैं कि फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल बेंचमार्क ब्याज दरों में कटौती करें। लेकिन इसके बावजूद FOMC अपनी वेट एंड वॉच अप्रौच पर कायम है।
इससे पहले मार्च, मई, जून की मीटिंग में भी फेडरल रिजर्व ने प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। जनवरी की मीटिंग में भी फेड फंड रेट्स को जस का तस छोड़ा गया था। फेड की ओर से ब्याज दरों में बदलाव न किए जाने की ही एक्सपर्ट्स उम्मीद जता रहे थे।
श्रम बाजार की स्थिति मजबूत] महंगाई कुछ हद तक बढ़ी हुई
फेडरल रिजर्व की ओर से जारी पॉलिसी स्टेटमेंट में कहा गया है, "बेरोजगारी दर कम बनी हुई है, और श्रम बाजार की स्थिति मजबूत है। महंगाई कुछ हद तक बढ़ी हुई है।" यह भी कहा गया कि आर्थिक वृद्धि साल की पहली छमाही में धीमी रही। अगर यह रुझान जारी रहा तो भविष्य की किसी बैठक में ब्याज दरों में कटौती की संभावना को बल मिलेगा। यह भी कहा गया कि इकोनॉमिक आउटलुक को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, जिससे फेड के महंगाई और रोजगार लक्ष्यों, दोनों के लिए जोखिम पैदा हो रहा है। इसी ने फेड को महंगाई और रोज का रास्ता क्लियर होने तक ब्याज दरों में कटौती करने से रोक दिया है।
पहले लगातार 3 बार घटाई थीं दरें
अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने दिसंबर 2024 में ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार कटौती की थी। यह कटौती 25 बेसिस पॉइंट्स की रही थी। साथ ही 2025 में केवल दो बार ही रेट कट किए जाने का संकेत दिया था। इसके बाद ब्याज दर 4.5%-4.75% से घटकर 4.25%-4.5% की टारगेट रेंज में आ गई। इसके पहले सितंबर 2024 में ब्याज दरों में 50 बेसिस पॉइंट्स और नवंबर 2024 में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की गई थी।
क्या कहना है एक्सपर्ट का?
नवी मुंबई के एनएमआईएमएस स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट में एमबीए प्रोग्राम चेयरपर्सन और फाइनेंस के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ भारत सुप्रा (Dr Bharath Supra) का कहना है कि अमेरिकी फेड का फैसला अनुमानों के मुताबिक ही रहा और यह इकॉनमी को लेकर मिले-जुले रुझान को दिखा रहा है। उन्होंने कहा कि हालिया आंकड़े के मुताबिक इस साल की पहली छमाही में इकनॉमिक गतिविधियां सुस्त हुई है लेकिन अमेरिकी लेबर मार्केट बेरोजेगरी के कम आंकड़ों के साथ मजबूत बना हुआ है। इनफ्लेशन अभी भी अमेरिकी फेड के टारगेट 2% से ऊपर बना हुआ है जो पॉलिसीमेकर्स के लिए परेशानी का विषय है।
डॉ भारत का कहना है कि अमेरिकी फेडरल के बयान में इस बार काफी अहम ये रहा कि फेडरल कमेटी के माइकल बोमैन और क्रिस्टोफर वालर मे दरों में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती के लिए कहा था। वर्ष 1993 के बाद से यह पहली बार है, जब फेडरल रिजर्व के किसी गवर्नर ने असहमति में मतदान किया है। डॉ भारत का कहना है कि अमेरिकी फेडरल के बयान से सतर्कता का रुझान दिख रहा है जिससे तत्काल किसी राहत के आसार नहीं दिख रहे हैं लेकिन भविष्य में दरों में कटौती के आसार अभी भी बने हुए हैं। डॉ भारत के मुताबिक जिस तरीके से फेडरल कमेटी में अलग-अलग राय बन रही है, उससे नीतियों में बदलाव अब बहुत दूर नहीं है।