Uttarakhand Land Act: उत्तराखंड के इन 11 जिलों में अब बाहरी लोग नहीं खरीद सकेंगे जमीन, नए कानून को मिली मंजूरी

Uttarakhand Land Management Act 2025: यह नया कानून उत्तराखंड के 13 में से 11 जिलों में दूसरे राज्यों के लोगों को खेती की जमीन खरीदने से रोकता है। हरिद्वार और उधम सिंह नगर दो जिले हैं जो इस कानून के दायरे में नहीं आते हैं। बजट सत्र के दौरान, विधेयक 20 फरवरी को विधानसभा में पेश किया गया था और अगले दिन इसे पारित कर दिया गया था

अपडेटेड May 02, 2025 पर 12:41 PM
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Uttarakhand Land Management Act 2025: बजट सत्र के दौरान इस विधेयक को 20 फरवरी को विधानसभा में पेश किया गया था

Uttarakhand Land Management Act 2025: उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (रिटायर्ड) ने उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही राज्य में सशक्त भू कानून लागू हो गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि कानून लागू होने के साथ ही प्रदेशवासियों की जनभावना के अनुरूप उत्तराखंड में कृषि एवं उद्यान भूमि की अनियंत्रित बिक्री पर पूरी तरह से रोक लग गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आवासीय, शिक्षा, अस्पताल, होटल, उद्योग जैसी जरूरत के लिए भी अन्य प्रदेशों के लोग निर्धारित कड़ी प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही उत्तराखंड में जमीन खरीद पाएंगे। उन्होंने कहा कि सख्त भू कानून लागू होने से प्रदेश में जनसांख्किीय बदलाव की कोशिशों पर भी रोकथाम लग सकेगी। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की सांस्कृतिक व सामाजिक पहचान को मजबूत बनाने के लिए सख्त भू-कानून को मंजूरी प्रदान करने के लिए राज्यपाल का आभार जताया।

इस साल फरवरी में बजट सत्र के दौरान उत्तराखंड विधानसभा से यह विधेयक पारित हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में लागू भू-अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ भी लगातार कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने कहा कि व्यापक अभियान चलाकर इस तरह की जमीनों को राज्य सरकार के अधीन किया जा रहा है।


11 जिलों में बाहरी लोग खेती की जमीन नहीं खरीद सकेंगे

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, यह नया कानून उत्तराखंड के 13 में से 11 जिलों में दूसरे राज्यों के लोगों को खेती की जमीन खरीदने से रोकता है। हरिद्वार और उधम सिंह नगर दो जिले हैं जो इस कानून के दायरे में नहीं आते हैं। बजट सत्र के दौरान, विधेयक 20 फरवरी को विधानसभा में पेश किया गया था और अगले दिन इसे पारित कर दिया गया था। कानून में कहा गया है, "यह किसी भी नगर निगम, नगर पंचायत, नगर पालिका और छावनी बोर्ड में शामिल और समय-समय पर शामिल किए जाने वाले क्षेत्रों को छोड़कर पूरे उत्तराखंड पर लागू होगा। यह तुरंत लागू होगा।"

कानून के तहत, दूसरे राज्य से जमीन खरीदने की योजना बनाने वाले व्यक्ति को सब-रजिस्ट्रार के समक्ष हलफनामा पेश करना होगा। इसमें यह पुष्टि की जाएगी कि न तो उसने और न ही उसके परिवार ने उत्तराखंड में कहीं और आवासीय उद्देश्यों के लिए 250 वर्ग मीटर से ज्यादा जमीन खरीदी है। अगर कोई खरीदार अपने उद्देश्य के लिए जमीन का उपयोग करने में विफल रहता है या बिना प्राधिकरण के उसे बेचता, गिफ्ट में देता या किसी और को ट्रांसफर करता है, तो जरूरी कार्रवाई की जाएगी।

सीएम धामी ने कहा, "इससे उत्तराखंड में कृषि और बागवानी भूमि की अनियंत्रित बिक्री पूरी तरह से रुक जाएगी, जो राज्य के निवासियों की भावना के अनुरूप है।" सीएम ने कहा, "इसके अलावा, आवासीय, शैक्षिक, अस्पताल, होटल और औद्योगिक जरूरतों जैसे उद्देश्यों के लिए, दूसरे राज्यों के लोग उत्तराखंड में कड़ी प्रक्रिया से गुजरने और निर्धारित मानकों को पूरा करने के बाद ही जमीन खरीद पाएंगे।"

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धामी ने कहा, "सख्त भूमि कानून लागू होने से राज्य में जनसांख्यिकी चरित्र को बदलने के प्रयासों पर रोक लगेगी। राज्य की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को मजबूत करने के लिए इस भूमि कानून को मंजूरी देने के लिए हम राज्यपाल के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। भूमि अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। एक व्यापक अभियान चल रहा है, और ऐसी भूमि को राज्य सरकार में निहित किया जा रहा है।"

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