Ethiopian Volcanic Eruption: इथियोपिया में फूटे ज्वालामुखी से भारत के आसमान पर भी मंडरा रहा खतरा, दिल्ली के आसमान पर छा सकता है राख का गुबार

Ethiopian Volcanic Eruption: ज्वालामुखी की विस्फोटक गतिविधि से उत्पन्न राख का गुबार 15,000 से 25,000 फीट की ऊंचाई पर और कुछ क्षेत्रों में 45,000 फीट तक, 100-120 किमी/घंटा की गति से यात्रा रहा है। इंडियामेटस्काई वेदर ने चेतावनी दी है कि राख के कारण आसमान अंधेरा और धुंधला हो सकता है

अपडेटेड Nov 25, 2025 पर 10:03 AM
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टूलूज वोल्केनिक ऐश एडवाइजरी सेंटर के अनुसार यह विस्फोट रविवार को सुबह 8:30 बजे यूटीसी (UTC) के आसपास शुरू हुआ

Haile Gubbi Volcano Ethiopia: इथियोपिया के हेली गुब्बी ज्वालामुखी से निकला राख का विशाल बादल आज शाम पश्चिमी भारत के हिस्सों में प्रवेश कर सकती है। इंडियामेटस्काई वेदर (IndiaMetSky Weather) के हवाले से ANI ने रिपोर्ट किया कि यह राख का गुबार आज रात लगभग 10 बजे तक गुजरात से प्रवेश करेगा और फिर राजस्थान, उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की ओर बढ़ेगा। यह रात में हिमालयी बेल्ट के क्षेत्रों को भी प्रभावित कर सकता है।

राख के बादल की गति और सामग्री

ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न यह गुबार 15,000 से 25,000 फीट की ऊंचाई पर और कुछ क्षेत्रों में 45,000 फीट तक, 100-120 किमी/घंटा की गति से यात्रा कर रहा है। ANI ने बताया कि इस बादल में ज्वालामुखी राख, सल्फर डाइऑक्साइड, और शीशे तथा चट्टान के बारीक कण शामिल हैं, जो विमानन और वायु गुणवत्ता दोनों के लिए खतरनाक हैं। इंडियामेटस्काई वेदर ने चेतावनी दी है कि राख के कारण आसमान अंधेरा और धुंधला हो सकता है।


फ्लाइट्स हो रही कैंसिल

मौसम विभाग ने आगाह किया है कि इस राख के बादल से उड़ानों में संभावित रूप से देरी हो सकती है और उड़ान का समय बढ़ सकता है। हालांकि, ANI की रिपोर्ट के अनुसार, भारत आने वाली उड़ानों के लिए अभी तक कोई विशिष्ट चेतावनी जारी नहीं की गई है। इमेज में हेली गुब्बी क्षेत्र से गुजरात तक फैली राख की एक बड़ी लकीर दिखाई गई है, हालांकि बाद में विस्फोट का फैलाव कम हो गया है।

10 हजार साल बाद फटा ज्वालामुखी

टूलूज वोल्केनिक ऐश एडवाइजरी सेंटर (VAAC) ने ANI को बताया कि यह विस्फोट रविवार को सुबह 8:30 बजे यूटीसी (UTC) के आसपास शुरू हुआ, जो इस ज्वालामुखी की लगभग 10,000 सालों में पहली रिकॉर्ड की गई गतिविधि है। यह ज्वालामुखी इथियोपिया के एरटा एले रेंज में स्थित है और अनुमान है कि यह पिछली बार 10,000-12,000 साल पहले फटा था। शुरुआत में, राख का गुबार लाल सागर के पार ओमान और यमन की ओर चला गया था, लेकिन अब यह पूर्वी दिशा में मुड़ गया है।

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