Waqf Amendment Bill In Rajya Sabha: लोकसभा से पारित होने के बाद वक्फ संशोधन विधेयक को गुरुवार (3 अप्रैल) दोपहर एक बजे राज्यसभा में पेश किया गया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में बिल पेश करते हुए कहा वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर पहले सरकार और फिर संसद की संयुक्त समिति (JPC) ने विभिन्न पक्षों से व्यापक विचार विमर्श किय। इस बीच, राज्यसभा में कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर आरोप लगाया कि उसने 2013 में वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करने के बाद अपना रुख इसलिए बदल लिया क्योंकि 2024 के चुनाव में उसे स्पष्ट बहुमत नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि वह वक्फ कानून के बारे में देश में तमाम तरह की भ्रांतियां फैला रही है। हुसैन ने कहा कि 2013 में जब यह विधेयक संसद में आया तो लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में बीजेपी के नेताओं ने उसका समर्थन किया था। लेकिन आज इसे दमनकारी कानून करार दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2024 में जब सत्तारूढ़ बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और वह 240 सीटों पर सिमट गई तो उसे इस वक्फ कानून की याद आई। उन्होंने कहा कि बीजेपी शासित कई प्रदेशों में तो वक्फ़ बोर्ड गठित ही नहीं किए गए। आज अल्पसंख्यक मंत्री वक्फ में पारदर्शिता लाने की बात कर रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ दल अपनी वोट बैंक की राजनीति के लिए यह विधेयक लेकर आया है। हुसैन ने सरकार को चुनौती दी कि विधेयक पर विचार के लिए जो संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित की गई थी। उसमें आए अधिकतर लोगों ने विधेयक के खिलाफ राय दी। उन्होंने सरकार को चुनौती दी कि जेपीसी और सरकार के पास इस विधेयक को लेकर जो ज्ञापन और दस्तावेज आए। उन्हें सार्वजनिक किया जाए ताकि देश को पता चल सके कि विधेयक के पक्ष में कितने लोगों ने सुझाव दिये और कितने लोगों ने इसका विरोध किया।
जेपीसी के सदस्य हुसैन ने कहा कि समिति की बैठक में विधेयक के प्रावधानों पर विस्तार से विचार विमर्श नहीं किया गया। विपक्ष के सदस्यों की आवाज को दबाया गया। उन्होंने दावा किया कि विपक्षी सदस्यों की किसी भी सिफारिश को जेपीसी रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया। कांग्रेस सदस्य ने सुझाव दिया कि पर्सनल लॉ को छोड़कर सभी धर्मों एवं संप्रदायों के मामलों के लिए एक समान कानून बनाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा एक समुदाय को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पहली बार देश में एक खास वर्ग के लोगों की नागरिकता को कानून के माध्यम से रोका जा रहा है। हुसैन ने कहा कि आज मस्जिदों को खोदकर मंदिर तलाशे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि इतिहास में जाकर पुरानी बातों को खोदा जाएगा तो पता नहीं क्या क्या बातें निकलेंगी ?
कांग्रेस सांसद ने कहा कि सरकार और सत्ता पक्ष देश में यह भ्रम फैला रहे हैं कि केवल मुसलमानों के लिए वक्फ़ कानून है। उन्होंने कहा कि मंदिरों के प्रबंधन के लिए कई कानून हैं। एसजीपीसी संबंधित कानून है और कई राज्यों में चर्चों से जुड़े कानून हैं। हुसैन ने कहा कि वक्फ़ विधेयक के बारे में यह गलत धारणा फैलायी जा रही है कि वक्फ़ न्यायाधिकरण के फैसलों को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।
इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि वर्तमान कानून के अनुसार न्यायाधिकरण के फैसलों के खिलाफ अपील में दीवानी वाद दायर नहीं किया जा सकता, जिसे इस विधेयक में दुरूस्त किया गया है। शाह ने विपक्ष पर सदन में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया।
सैयद नसीर हुसैन के संबोधन के दौरान बीच में टोकते हुए गृह मंत्री ने कहा, "मैं बीच में टोकना नहीं चाहता। लेकिन शायद वह भोले भाव से सदन में गलत जानकारी रख रहे हैं।" उन्होंने कांग्रेस सांसद पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया। शाह ने कहा कि यह बिल जमीनों को सुरक्षा प्रदान करेगा। अब किसी की जमीन सिर्फ घोषणा मात्र से ही वक्फ की नहीं हो जाएगी।