अरबी जिसे घुइया, कचालू या टैरो भी कहते हैं, एक पोषक तत्वों से भरपूर कंद-सब्जी है। इसके दिलनुमा सुंदर पत्तों का इस्तेमाल खाने और सजावट दोनों में होता है।
अरबी के लिए बड़ा और खुला गमला चुनें। नीचे ड्रेनेज होल जरूर हो ताकि पानी जमा न हो सके, जिससे कंद खराब होने का खतरा कम होता है।
अरबी के पौधे के लिए मिट्टी में 40% गार्डन सॉयल, 30% गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट, 20% रेत और 10% कोकोपीट या पत्तियों की खाद का मिश्रण सबसे बेहतर है। मिट्टी में जल निकासी का ध्यान महत्वपूर्ण है।
अरबी के ताजे कंद लें जिनमें अंकुर निकले हों। इन्हें 3-4 इंच गहराई पर लगाएं, ऊपर से हल्की मिट्टी डालें और तुरंत पानी दें ताकि मिट्टी गीली हो जाए।
अरबी को नमी पसंद है लेकिन पानी अधिक मिलने से कंद सड़ सकते हैं। गर्मियों में हर 1-2 दिन में, सर्दियों में 2-3 दिन पर मिट्टी का ऊपरी हिस्सा सूखा होने पर ही पानी दें।
अरबी को 3-5 घंटे हल्की धूप रोज चाहिए। बहुत तेज धूप में पत्ते खराब हो सकते हैं, इसलिए पौधे को ऐसी जगह रखें जहां दोपहर की धूप न पड़े, पर सुबह या शाम को हल्की धूप मिले।
लगाने के 15-20 दिन में सूट निकलते और 30-40 दिन में पत्तियां दिखती हैं। 2 महीने बाद पहली पत्ती ले सकते हैं, जबकि 4-6 महीने में कंद खुदाई योग्य बनती है।
सप्ताह में एक बार सूखी/पीली पत्तियां निकालें, 20-25 दिन में मिट्टी की हल्की गुड़ाई करें। पहली बार गुड़ाई के बाद कंपोस्ट डालना फायदेमंद होता है।
पौधे को बहुत गहरी गुड़ाई न दें, जड़ें नुकसानदायक हो सकती हैं। गमला कभी पानी में डूबा न रहे, सिर्फ इतनी नमी बनी रहे कि मिट्टी हल्की गीली हो। मौसम के अनुसार अरबी का पौधा मार्च-जुलाई या मानसून में लगाना आदर्श है।