पुराने आलू को नया दिखाकर बेचने का खतरनाक तरीका अब आम हो गया है। प्रगतिशील युवा किसान सरदार जोधवीर सिंह कलेर के अनुसार, सस्ते और पुराने आलू को तेजाब या अमोनिया जैसे केमिकल में भिगोया जाता है। ये केमिकल आलू के मोटे और कठोर छिलके को मुलायम और पतला बना देता है, जिससे वो नया जैसा दिखने लगता है। इसके बाद आलू को मिट्टी और गेरुआ रंग के लेप से रगड़कर उसका लुक नया जैसा कर दिया जाता है। कुछ ही घंटों में ये पुराना आलू ऊंचे दाम पर बिकने के लिए तैयार हो जाता है।
इस प्रक्रिया से आलू की बनावट और रंग बदल जाते हैं, लेकिन इसके स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे छिपे होते हैं। अमोनिया और तेजाब के कारण ये आलू किडनी, लीवर और पेट के लिए हानिकारक हो सकता है। जानकारी के अभाव में लोग इसे आसानी से खरीद लेते हैं और लंबे समय तक इसका सेवन सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा
केमिकल-युक्त आलू खाने से किडनी और लीवर को नुकसान पहुंच सकता है। लगातार सेवन से पेट और पाचन तंत्र की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ये आलू धीमा जहर है, जो धीरे-धीरे सेहत को बिगाड़ता है।
असली और नकली आलू में अंतर
केमिकल वाले आलू पर गेरुआ रंग और मिट्टी का लेप होता है। इसे पानी से धोने पर रंग जल्दी उतर जाता है। असली आलू पर लगी मिट्टी प्राकृतिक होती है, जो इतनी जल्दी नहीं जाती।
आलू को बीच से काटें। अगर कटते ही पानी छोड़े और स्पंजी लगे, तो ये केमिकल-युक्त हो सकता है। असली नया आलू ऐसा नहीं करता। पुराने आलू में अंदर से हल्की मिठास रह सकती है।
सुरक्षित खरीददारी के टिप्स