भारतीय रसोई में हल्दी का महत्व सदियों से माना जाता है। यह सिर्फ खाने के रंग और स्वाद को बढ़ाने का काम ही नहीं करती, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन नामक तत्व एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से शरीर विभिन्न संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है। हल्दी का इस्तेमाल दाल, सब्जी, मसाले और दूध जैसी चीजों में रोजाना किया जाता है। इसके अलावा हल्दी का प्रयोग चोट, सूजन और त्वचा संबंधी समस्याओं में भी किया जाता रहा है।
आजकल बाजार में मिलावटी हल्दी की भरमार होने लगी है, जिससे इसके फायदे कम हो सकते हैं और सेहत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसलिए, असली हल्दी की पहचान करना और उसका सही तरीके से इस्तेमाल करना बेहद जरूरी हो गया है।
मिलावटी हल्दी का बढ़ता खतरा
आजकल मार्केट में नकली हल्दी की भरमार हो गई है। इसमें पीला रंग, चाक पाउडर या स्टार्च मिलाकर असली हल्दी की जगह बेचा जाता है। इस तरह की हल्दी न केवल स्वाद बिगाड़ती है, बल्कि सेहत के लिए भी हानिकारक हो सकती है। इसलिए असली और नकली हल्दी की पहचान करना बेहद जरूरी है।
हल्दी पाउडर को पानी में डालकर कुछ समय के लिए छोड़ दें। अगर हल्दी शुद्ध है तो पानी में हल्दी जम जाएगी और पानी का रंग हल्का पीला रहेगा। वहीं, अगर पानी गहरा पीला हो जाए, तो इसमें मिलावट होने की संभावना होती है।
असली हल्दी में हमेशा हल्दी जैसी ताज़गी और सुगंध होती है। नकली हल्दी में यह प्राकृतिक खुशबू बिल्कुल नहीं होती।
हल्दी की थोड़ी मात्रा को हाथ पर मलें। असली हल्दी आसानी से हाथ से निकलती है और लंबे समय तक रंग छोड़ती है। नकली हल्दी हाथों पर दाग छोड़ सकती है या आसानी से रंग उड़ जाता है।
हल्दी में स्टार्च मिलावट का पता आयोडीन से लगाया जा सकता है। हल्दी में कुछ बूंदें आयोडीन की डालें। अगर हल्दी नीली या काली पड़ जाए, तो समझिए इसमें स्टार्च मिला हुआ है।
साबुन टेस्ट से सुनिश्चित करें
हल्दी को हाथों पर लगाकर रगड़ें और फिर साबुन से धोएं। असली हल्दी का रंग आसानी से नहीं जाता, जबकि नकली हल्दी आसानी से निकल जाती है।
इन आसान तरीकों से आप असली और नकली हल्दी की पहचान कर सकते हैं और अपने खाने और सेहत दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।