ऑफिस, स्कूल-कॉलेज, होटल या रेस्टोरेंट हर जगह वेस्टर्न कमोड आम हो गए हैं। घरों में भी अब लोग इन्हीं को लगवाना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि इन फ्लश टॉयलेट में दो बटन क्यों होते हैं? अक्सर लोग इसका सही इस्तेमाल नहीं करते और अनजाने में पानी की बर्बादी कर देते हैं। छोटा बटन, बड़ा बटन—इनका अलग मकसद है, और यह जानना हर यूजर के लिए जरूरी है। सही तरीके से फ्लश करने से न केवल पानी बचता है, बल्कि यह आपके लिए और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। आगे पढ़िए, हम बताएंगे कि ये दो बटन कैसे काम करते हैं और क्यों कभी-कभी एक साथ दबाना भी नुकसानदेह हो सकता है।
दो बटन, पानी बचाने का तरीका
आमतौर पर टॉयलेट का इस्तेमाल पेशाब और मल दोनों के लिए होता है। फ्लश के दौरान पानी की बचत के लिए ड्यूल फ्लश सिस्टम बनाया गया है। इसमें छोटा बटन सिर्फ पेशाब के बाद फ्लश करने के लिए होता है, जिससे लगभग 3 लीटर पानी ही खर्च होता है। बड़े बटन का इस्तेमाल मल त्याग के बाद करना चाहिए, जिससे करीब 6 लीटर पानी बाहर आता है।
दोनों बटन साथ दबाने से होता है पानी की बर्बादी
कई लोग अनजाने में दोनों बटन एक साथ दबा देते हैं। इससे जरूरत से ज्यादा पानी बह जाता है और अनावश्यक बर्बादी होती है। इसलिए हमेशा फ्लश करने से पहले सोचें, क्या आप पेशाब के बाद फ्लश कर रहे हैं या मल? सही बटन चुनकर ही पानी बचाएं और पर्यावरण की मदद करें।
समझदारी से फ्लश करें, बचाएं पानी
छोटा या बड़ा बटन, फर्क सिर्फ पानी की मात्रा का है। जरूरत के हिसाब से बटन दबाना सीखें और अपने घर या ऑफिस में स्मार्ट तरीके से पानी की बचत करें। यही छोटा बदलाव बड़े फायदे ला सकता है।