BRS प्रमुख के चंद्रशेखर राव (KCR) को क्या इस बार गजवेल का चुनावी मैदान आसान नहीं लग रहा है? वह कई बार से इस सीट से जीत हासिल करते आ रहे हैं। इस बार उन्होंने गजवेल के अलावा कामारेड्डी से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इस बार अगर वह गजवेल से चुनाव जीत जाते हैं तो इस सीट से तीन बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड उनके नाम होगा। यह पहली बार नहीं है जब केसीआर दो सीट से ताल ठोंक रहे हैं। 2004 और 2014 में उन्होंने एक लोकसभा और एक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। दोनों बार राज्य में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ हुए थे। लेकिन, 2018 में उन्होंने सिर्फ गजवेल से चुनाव लड़ने का फैसला किया था। इसलिए इस बार दो सीटों से चुनाव लड़ने के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। केसीआर के शिष्य रह चुके इतेला राजेंदर ने गजवेल से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। ऐसा लगता है कि राजेंदर का चुनावी मैदान में उतरना केसीआर की चिंता बढ़ा रहा है। कट्टर विरोधी बन चुके राजेंदर के खिलाफ चुनाव जीतकर हैट्रिक बनाने में केसीआर को दिक्कत आ सकती है।
गजवेल विकास की दौड़ में दूसरे इलाकों से आगे
केसीआर ने बतौर विधायक और मुख्यमंत्री गजवेल के प्रतिनिधि के रूप में इस इलाके का काफी विकास किया है। उन्होंने गजवेल का चेहरा बदल दिया है। खासकर रियल्टी सेक्टर और एजुकेशन के क्षेत्र में गजवेल की तरक्की देखने लायक है। यह बड़ी संख्या में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स का हब बन गया है, जो KG से लेकर PG तक का एजुकेशन ऑफर करते हैं। येरावल्ली में केसीआर के फॉर्म हाउस से नजदीक स्थित होने के कारण गजवेल की ज्यादातर जमीन के लिए सिंचाई की अच्छी सुविधा उपलब्ध है। 200 एकड़ में फैले इस फॉर्म हाउस को गोदावरी नदीं से पर्याप्त पानी मिलता है।
हैदराबाद से नजदीक होने का मिलता है फायदा
गजवेल के हैदराबाद के करीब स्थित होने के चलते वहां आर्थिक गतिविधियों के लिए खूब गुंजाइश है। इसलिए इस इलाके में कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर का अच्छा जाल है। गजवेल से गुजरने वाली रिंग रोड इसे हैदराबाद से जोड़ती है। इन वजहों से गजवेल विकास की दौड़ में दूसरे इलाकों से काफी आगे है। केसीआर सरकार ने गजवेल के वारगाल में प्लांट लगाने के लिए अमूल से संपर्क किया है। इस पर करीब 500 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है। इस प्लांट से गजवेल और इसके आसपास के इलाकों में डेयरी फॉर्मिंग को बढ़ावा मिलेगा।
गजवेल में विकास की नदीं बहाने के बावजूद केसीआर को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। मलन्ना सागर सिंचाई परियोजना के लिए जिन किसानों की जमीनें ली गई, वे केसीआर का विरोध कर रहे हैं। यहां के लोग इलाके के विकास के केसीआर के दावों से संतुष्ट नहीं हैं। विपक्षी नेताओं ने भी केसीआर को गजवेल के आम लोगों की पहुंच से बाहर का नेता बताया है। मुख्यमंत्री जिस फॉर्म हाउस में अपना ज्यादातर समय बिताते हैं उसके चारों और कंटीले तारों को दोहरा घेरा है। वॉचटावर से आनेजाने वाले लोगों पर करीबी नजर रखी जाती है। ऐसे में इलाके के लोगों के लिए अपने नेता से मिलना नामुमिन जैसा है।