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इस खास दिन आंवला के पेड़ के नीचे खाने से घर में रहती है सुख-शांति! नारायण की बरसती है कृपा, जानें कैसे करें पूजा

Amla Tree: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, मिथिलांचल में आंवला पूजा काफी धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन लोगों को आंवला का चटनी खाना जरूरी होता हैं। आंवला पेड़ के नीचे सभी तरह के पकवान बनाए जाते हैं। इसके फल को पीसकर पूरे शरीर में लगाने मात्र से नारायण जैसी अनुभूति प्राप्त होती है

अपडेटेड Nov 08, 2024 पर 5:33 AM
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Dhatri Puja: धात्री पूजा आंवला के पेड़ के नीचे क्यों की जाती है

Amla Tree: हमारे देश में खासकर हिंदू संस्कृति में पेड़ पौधों का काफी महत्व है, यहां तक कई पेड़ों को तो भगवान का स्वरूप माना जाता है। हिंदू धर्म में तो पीपल, नीम, आम सहित ऐसे कई वृक्ष हैं जिसमें देवी-देवताओं की वास की बात कही गई है और इनकी पूजा भी की जाती है। वहीं कार्तिक के महीने में देश के विभिन्न हिस्सों में आंवला के पेड़ की पूजा करने की प्रथा है। बिहार के मिथिलांचल में धात्री पूजा यानी आंवला पूजा काफी धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग आंवला के पेड़ के नीचे विभिन्न तरह के पकवान बनाते हैं और अपने पूरे परिवार के साथ खाते हैं। आइए जानते हैं इस पर्व और इसके महत्व के बारे में

आंवला के पेड़ के नीचे बनाते है खाना

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, आंवला के पेड़ की छाया पड़ने और उसके पत्ते का खाना में गिरने से भोजन शुद्ध हो जाता है। इस दिन आंवला पूजा मिथिलांचल में काफी धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन सभी लोगों को आंवला का चटनी अनिवार्य रूप से खाते हैं। इस दिन आंवला के पेड़ के नीचे सभी प्रकार का पकवान बनाए जाते हैं। साथ ही आंवला के फल को पीसकर पूरे शरीर पर लेप लगाने मात्र से नारायण जैसी अनुभूति होती है।


क्यों की जाती है पूजा

इस विशेष पूजा पर विशेष जानकारी देते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के विभागअध्यक्ष डॉक्टर कुणाल कुमार झा लोकल 18 को बताया कि, भगवान नारायण को प्रसन्न करने के लिए यह जगत धात्री यानि जगत को धारण करने वाले की पूजा होती है। इसलिए उस दिन मिथिलांचल में धात्री पूजा होती है। जिसमें आंवला का वृक्ष होता है, जो धात्री के वर्णन में आया है, यानि जितने भी प्रकार के घर में क्लेश हैं, अशुद्ध भोजन किए हुए हैं , वो व्यक्ति आंवला पेड़ की छाया में भोजन बनकार ब्राह्मण को भोजन कराकर स्वयं भी भोजन करे, तो इससे कई प्रकार के क्लेश से मुक्ति मिल जाती है।

इस साल कब होगी पूजा

भोजन के साथ ही आंवला के फल को पीसकर शरीर पर भी लगाया जाता है और उसका आभूषण भी बनाकर धारण किया जाता है। आंवला फल ग्रहण करने से नर नारायण सदृश हो जाते हैं, अर्थात उसमें देव गुण पूर्ण रूप से आ जाता है। इसी वजह से आंवला पूजन का मिथिलांचल में काफी महत्व होता है। इस बार जगत धात्री पूजा 8 नवंबर से प्रारंभ होगी, जो 11 नवंबर को धात्री विसर्जन के साथ पूरी होगी। इतने दिन आंवला वृक्ष की छाया में रहने से और वहां भोजन निर्माण आदि करके भोजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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