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Holi 2025 Date: क्या इस साल भी दो दिन पड़ रही है होली, डेट पर फंसा पेच? ज्योतिष से जानें सही तारीख

Holi 2025 Date: होली का त्योहार देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा की रात को होलिका दहन और अगले दिन होली मनाई जाती है। इस बार भी होली की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन है। आइए वैदिक पंचांग के मुताबिक जानें कब मनाई जाएगी होली

अपडेटेड Jan 17, 2025 पर 4:38 PM
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Holi 2025: आइए वैदिक पंचांग के मुताबिक जानें साल 2025 में कब मनाई जाएगी होली (Photo Credit: Canva)

देशभर में होली का त्योहार काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन पूरे देश में उत्साह और उमंग का माहौल होता है। वैदिक पंचांग के मुताबिक, हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन रंगों का पर्व होली मनाया जाता है। पिछले साल की तरह इस साल भी होली की डेट को लेकर लोगों में काफी कन्फ्यूजन है, क्योंकि कुछ जगहों पर लोग होली 14 मार्च को मनाएंगे तो कहीं पर 15 मार्च को होली मनाई जाएगी।

ऐसे में सबके मन में यह सवाल है कि होली किस दिन मनाई जाए। आइए वैदिक पंचांग के मुताबिक जानें कब मनाई जाएगी होली

इस साल कब मनाई जाएगी होली


लोकल 18 से बात करते हुए अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम ने बताया, होलिका दहन और रंग वाली होली का अपना अलग-अलग महत्व है। वैदिक पंचांग के मुताबिक, इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 25 मिनट से होगी और इसका समापन अगले दिन 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि का ज्यादा महत्व होता है, इसलिए इस बार होलिका दहन 14 मार्च को और रंगों का त्योहार होली 15 मार्च को मनाई जाएगी।

हर साल फाल्गुन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन एक विशेष शुभ मुहूर्त में किया जाता है। वर्ष 2025 में यह शुभ समय शाम 6:30 बजे से रात 8:30 बजे तक रहेगा। इस दौरान लोग पवित्र अग्नि में लकड़ी, गोबर के उपले और अनाज अर्पित करते हुए अपनी परेशानियों और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने की कामना करते हैं।

क्यों मनाया जाती है होली

होलिका दहन और होली का पर्व एक प्राचीन पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। एक कथा के मुताबिक, भक्त प्रह्लाद राक्षस कुल में जन्मे थे, लेकिन वे भगवान नारायण के परम भक्त थे। उनके पिता, हिरण्य कश्यप ने प्रह्लाद की भक्ति को पसंद नहीं करते थे, जिसकी वजह से वह प्रह्लाद को कई कष्ट दिए। प्रह्लाद की बुआ होलिका को वरदान में ऐसा वस्त्र मिला था, जिसको पहन कर आग में बैठने पर भी आग उसे नहीं जला सकती थी। होलिका ने प्रह्लाद को मारने के लिए आग में वह वस्त्र पहन कर बैंठी। लेकिन भगवान विष्णु की भक्ति के कारण, होलिका जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित रहे। इसी के बाद से होली का पर्व शक्ति पर भक्ती के जीत के रूप में मनाया जाता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख की सामग्री पूरी तरह से पौराणिक मान्यताओं पर आधारित है। हम इसकी सत्यता और सटीकता का पूरी तरह दावा नहीं करते। यहां दी गई किसी भी जानकारी के आधार पर कोई वित्तीय, स्वास्थ्य या व्यावसायिक निर्णय लेने से पहले योग्य विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें।

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First Published: Jan 17, 2025 4:25 PM

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