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Holika dahan 20225: घर में रखें होलिका की राख, बीमारियां और नकारात्मक शक्तियां रहेंगी कोसों दूर

Holika dahan 20225: होलिका दहन पर गोबर के उपले जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसे धार्मिक आस्था, नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति और पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि उपलों की अग्नि घर-परिवार में सुख-समृद्धि लाती है। जानें, क्यों यह परंपरा हर साल निभाई जाती है और इसके क्या लाभ हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Mar 13, 2025 पर 6:25 AM
Holika dahan 20225: घर में रखें होलिका की राख, बीमारियां और नकारात्मक शक्तियां रहेंगी कोसों दूर
Holika dahan: गोबर के बल्ले बनाकर माला बनाई जाती है और द्वार पर टांगी जाती है।

होलिका दहन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि परंपराओं और आस्था का संगम है। छतरपुर जिले समेत कई स्थानों पर इस दिन गोबर के उपले (कंडे) जलाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि उपलों की पवित्र अग्नि नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त कर परिवार में सुख-समृद्धि और शांति लाती है। होलिका दहन से कुछ दिन पहले ही गोबर के छोटे-छोटे बल्ले (गुलरियां) बनाए जाते हैं, जिन्हें धूप में सुखाकर रस्सी में पिरोया जाता है। इनकी सात मालाएं बनती हैं, जिनमें से एक बड़ी होलिका में समर्पित कर दी जाती है, जबकि बाकी घर की रक्षा के लिए रखी जाती हैं।

सदियों पुरानी यह परंपरा सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। गोबर के उपले जलाने से वायुमंडल की शुद्धि होती है और ये प्राकृतिक ऊर्जा का स्रोत भी माना जाता है।

उपलों की राख का महत्व

होलिका दहन के बाद बची हुई राख को बेहद पवित्र माना जाता है। लोकल 18 से बातचीत में 82 वर्षीय प्रेमा बाई ने बताया कि बड़ी होलिका की राख को घर में सुरक्षित रखने से भूत-प्रेत जैसी नकारात्मक शक्तियों से बचाव होता है। साथ ही, इस राख को बीमार व्यक्ति के माथे पर लगाने से स्वास्थ्य लाभ मिलने की भी मान्यता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ये राख घर में सुख-समृद्धि बनाए रखने में सहायक होती है। कई लोग इसे पूजा स्थल या अन्य पवित्र स्थान पर रखते हैं, ताकि सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे और बुरी शक्तियां दूर रहें।

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