सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि संध्याकाल में विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को इच्छित फल की प्राप्ति होती है। यह व्रत न केवल रुके हुए कार्यों को सिद्ध करता है, बल्कि जीवन की समस्याओं से भी छुटकारा दिलाने में सहायक होता है।प्रदोष व्रत के दौरान शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं। पूजा के दौरान भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना विशेष रूप से संध्याकाल में की जाती है। इस दिन दान का भी बहुत महत्व है। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।