Get App

Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती आज, दुख-दर्द से मिलेगी मुक्ति, जानिए पूजा विधि और महत्व

Kaal Bhairav Jayanti Puja Vidhi: हिंदू धर्म में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा का विशेष दिन माना जाता है। काल भैरव जयंती हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। भारत के कई स्थानों पर इसे भैरव अष्टमी या महाकाल भैरव जयंती भी कहा जाता है। भैरव शिवजी का ही रौद्र रूप हैं, लेकिन कहीं-कहीं पर इन्हें शिव का पुत्र भी माना जाता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 22, 2024 पर 9:42 AM
Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती आज, दुख-दर्द से मिलेगी मुक्ति, जानिए पूजा विधि और महत्व
Kaal Bhairav Jayanti Puja Vidhi: काल भैरव जी की पूजा आराधना करने से भक्तों को भय से मुक्ति मिलती है।

हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन काल भैरव जयंती मनाई जाती है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर को शाम 6.07 बजे शुरू होगी। यह अगले दिन 23 नवंबर 2024 को रात 7.56 बजे खत्म हो जाएगी। ऐसे में 22 नवंबर, शुक्रवार को काल भैरव जयंती मनाई जा रही है। भारत के कई स्थानों पर इसे भैरव अष्टमी या महाकाल भैरव जयंती भी कहा जाता है। भैरव शिवजी का ही रौद्र रूप हैं, लेकिन कहीं-कहीं पर इन्हें शिव का पुत्र भी माना जाता है। ऐसी भी मान्यताएं हैं कि जो लोग भी शिव के मार्ग पर चलते हैं। उन्हें भैरव कहा जाता है। इनकी उपासना से भय और अवसाद का नाश होता है।

मान्यता है कि इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा करने से व्यक्ति को सभी दुख-दर्द, नकारात्मकता और भय से मुक्ति मिलती है। काल भैरव की पूजा निशा काल यानी रात्रि में होती है। इसलिए काल भैरव जयंती 22 नवंबर को ही मनाई जाएगी। 22 नवंबर को शाम 6.07 बजे से काल भैरव की पूजा आराधना शुरू कर सकते हैं। काल भैरव की पूजा रात्रि में करना अतिशुभ माना जाता है। इसलिए अर्धरात्रि तक आप पूजा आराधना कर सकते हैं। इसके अलावा मंत्रों का जप करके काल भैरव को प्रसन्न कर सकते हैं।

काल भैरव पूजा विधि

काल भैरव जयंती के दिन बहुत से लोग व्रत भी रखते हैं। इस दिन सुबह उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। काल भैरव की पूजा रात्रि के समय की जाती है, इसलिए रात्रि के समय पूजा स्थल पर काल भैरव की प्रतिमा रखकर आपको पूजा-आराधना शुरू कर देना चाहिए। अगर आपके घर के आसपास काल भैरव का मंदिर है तो वहां जाकर आप चौमुखी दीपक जलाकर काल भैरव की पूजा कर सकते हैं। घर के पूजा स्थल में पूजा करने वालों को काल भैरव की प्रतिमा के सामने फूल-अक्षत आदि अर्पित करना चाहिए। इसके बाद कालभैरव अष्टकम का पाठ और मंत्रों का जप किया जाता है। फिर भैरव जी को इमरती, पान, नारियल आदि का भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही काल भैरव जयंती के दिन कुत्तों को रोटी और जरूरतमंदों को दान करने से भी फायदा होता है।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें