हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन काल भैरव जयंती मनाई जाती है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर को शाम 6.07 बजे शुरू होगी। यह अगले दिन 23 नवंबर 2024 को रात 7.56 बजे खत्म हो जाएगी। ऐसे में 22 नवंबर, शुक्रवार को काल भैरव जयंती मनाई जा रही है। भारत के कई स्थानों पर इसे भैरव अष्टमी या महाकाल भैरव जयंती भी कहा जाता है। भैरव शिवजी का ही रौद्र रूप हैं, लेकिन कहीं-कहीं पर इन्हें शिव का पुत्र भी माना जाता है। ऐसी भी मान्यताएं हैं कि जो लोग भी शिव के मार्ग पर चलते हैं। उन्हें भैरव कहा जाता है। इनकी उपासना से भय और अवसाद का नाश होता है।