Karwa Chauth Vrat Katha: देश में करवाचौथ रविवार 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाना है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखती है। करवा चौथ पर माता करवा चौथ की दो कथा पढ़ना शुभ माना जाता है। सिर्फ एक कथा न पढ़े और दो कथा जरूर पढ़ें। ज्यादातर महिलाएं करवाचौथ पर साहूकार की कहानी पढ़ती है, जबकि जोड़े में कथा पढ़ना शुभ माना जाता है। यहां आपको करवाचौथ से जुड़ी चार कथाएं बता रहे हैं।
करवा चौथ का व्रत कब रखा जाएगा?
पंचांग के मुताबिक इस साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को सुबह 6:46 बजे से हो रही है। जिसका समापन 21 अक्टूबर को सुबह 4.16 बजे है। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5.46 बजे से रात 07.09 बजे तक है। पूजा की कुल अवधि 1 घंटे 16 मिनट तक है।
1. पहली कथा: सात भाइयों और करवा की कहानी बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार की सात बेटों की बहन का नाम करवा था। सभी भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। जब करवा शादी के बाद मायके आई, तो उसने करवा चौथ का व्रत रखा। वह चांद देखने के बाद ही खाना खा सकती थी, लेकिन चांद अभी निकला नहीं था, और करवा भूख-प्यास से परेशान थी।
सबसे छोटे भाई से बहन की हालत देखी नहीं गई। उसने पीपल के पेड़ पर दीपक जलाकर उसे छलनी की ओट में रख दिया, जिससे दूर से देखने पर ऐसा लगा जैसे चांद निकल आया हो। छोटे भाई की बात मानकर करवा ने उस नकली चांद को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ दिया और खाना खा लिया।
इसके बाद करवा को अपशकुनों का सामना करना पड़ा। उसकी भाभियों ने उसे बताया कि व्रत गलत तरीके से तोड़ने के कारण देवता नाराज़ हो गए। करवा ने पति की मृत्यु के बाद भी अंतिम संस्कार नहीं होने दिया और पूरे एक साल तक तपस्या की। उसकी छोटी भाभी ने आखिरकार उसे मदद की, जिससे करवा का पति दोबारा जीवित हो गया।
2. दूसरी कथा: वीरवती की कहानी एक बार वीरवती नाम की ब्राह्मण लड़की ने करवा चौथ का व्रत रखा। भूख और प्यास से व्याकुल वीरवती को देख उसके भाइयों ने पीपल के पेड़ के पीछे दीपक जलाकर नकली चांद दिखा दिया। वीरवती ने वह चांद देखकर व्रत तोड़ दिया। लेकिन इसके बाद उसके पति की मृत्यु हो गई। इस दुख से उबरने के लिए वीरवती ने पूरे साल हर चतुर्थी को व्रत रखा और करवा चौथ के दिन फिर से व्रत किया। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे पति पुनः मिल गया।
3. तीसरी कथा: करवा और मगरमच्छ की कहानी एक समय की बात है, करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी किनारे रहती थी। एक दिन उसके पति को नदी में स्नान करते समय एक मगरमच्छ ने पकड़ लिया। करवा ने कच्चे धागे से मगरमच्छ को बांध दिया और यमराज के पास जाकर कहा कि मगरमच्छ को नरक में भेजें। यमराज ने पहले मना किया, लेकिन करवा के दृढ़ निश्चय और तपस्या को देखकर मगरमच्छ को नरक में भेजा और करवा के पति को दीर्घायु का वरदान दिया। इसी तरह करवा चौथ व्रत से सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
4. चौथी कथा: अर्जुन और द्रौपदी की कहानी एक बार अर्जुन तपस्या करने के लिए नीलगिरि पर्वत पर गए थे, और उनकी कोई खबर न मिलने से द्रौपदी परेशान हो गईं। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान किया और अपनी चिंता व्यक्त की। श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया कि माता पार्वती ने भी करवा चौथ का व्रत रखा था, जिससे उनके सुहाग की रक्षा हुई। इसके बाद द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत किया, जिससे अर्जुन सकुशल वापस लौट आए। प्राचीनकाल से चली आ रही यह परंपरा आज भी हर साल सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं।