Sharad Purnima 2024: 16 अक्टूबर को है शरद पूर्णिमा, जानिए इसका इतिहास और महत्व, चांद की रोशनी में क्यों रखी जाती है खीर?

Sharad Purnima 2024 Date: हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। हर महीने में पूर्णिमा का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता हैं। आश्विन माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। शुभ तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है

अपडेटेड Oct 13, 2024 पर 1:47 PM
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Sharad Purnima 2024 Date: शरद पूर्णिमा के दिन रात में खीर बनाकर रखी जाती है। ताकि खीर में अमृत की बारिश हो सके।

हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। सभी पूर्णिमा में शरद पूर्णिमा का खास महत्व है। आश्विन महीने की इस पूर्णिमा को 'शरद पूनम', 'रास पूर्णिमा' और ‘कोजागर पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है। यह शरद ऋतु के आने का संकेत होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने गोपियों के संग रास रचाया था। इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं। वहीं दूसरी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी भूमिलोक पर भ्रमण करने के लिए आती हैं। इसलिए इसे कोजागर पूर्णिमा भी कहते हैं।

पूर्णिमा तिथि के दिन पूजा-पाठ, स्नान-दान इत्यादि करने से विशेष फायदा मिलता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन शरद पूर्णिमा व्रत का पालन किया जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन पूजा करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं, इस वर्ष कब है शरद पूर्णिमा व्रत, शुभ मुहूर्त और पूजा महत्व?

शरद पूर्णिमा तिथि और चंद्रोदय का समय


इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात 8.40 बजे होगी। पूर्णिमा तिथि का समापन 17 अक्टूबर को शाम 4.55 बजे होगा। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय शाम 5.07 बजे होगा। वहीं चंद्रदेव की उपासना प्रदोष काल में की जा सकती है। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसी भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी धरती लोक का भ्रमण करती हैं। अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती है। शरद पूर्णिमा का त्योहार बिहार, बंगाल और झारखंड में खासतौर पर मनाया जाता है। बंगाल में इस दिन लक्ष्मी पूजा भी मनाई जाती है।

शरद पूर्णिमा को खीर क्यों रखी जाती है?

शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रोशनी बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं के साथ चमकता है। इसके अलावा कहते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रोशनी में कुछ ऐसे तत्व मौजूद होते हैं। जिससे हमारे शरीर और मन को शुद्ध करके एक पॉजिटिव ऊर्जा मिलती है। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को दूध, चावल की खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखा जाता है।

ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा की किरणों से इस मिठाई में अमृत जैसे औषधीय गुण आ जाते हैं। इस दिन दूध, चावल की खीर बनाकर, एक बर्तन में रखकर उसे जालीदार कपड़े से ढक्कर चांद की रोशनी में रखा जाता है। इसके बाद अगली सुबह ब्रह्म मुहूर्त में श्री विष्णु को उस खीर का भोग लगाया जाता है। इसके बाद पूरे परिवार में बांट कर सेवन किया जाता है।

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First Published: Oct 13, 2024 1:35 PM

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