Credit Cards

Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा आज, निकल गया चांद, अब खीर कब रखें? जानिए सही समय

Sharad Purnima 2024: आज (16 अक्टूबर 2024) शरद पूर्णिमा (Sharad purnima) है। इस दिन मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा का खास महत्व है। इसे कोजागर पूजा भी कहते हैं। हर महीने में पूर्णिमा का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता हैं। आश्विन माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन चंद्रमा की छाया खीर रखने की परंपरा है

अपडेटेड Oct 16, 2024 पर 6:35 PM
Story continues below Advertisement
Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा के दिन रात 8.40 बजे के पहले खीर रखने का समय है।

हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व के बाद कार्तिक माह की शुरुआत होती है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा कई जगहों पर इस दिन रात के समय चंद्रमा की रोशनी में खीर रखकर छोड़ दी जाती है। मान्यता है कि इस खीर का सेवन करना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। इस पूर्णिमा को 'शरद पूनम', 'रास पूर्णिमा' और ‘कोजागर पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है। यह शरद ऋतु के आने का संकेत होता है।

ज्योतिष के मुताबिक, पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर 2024 को सुबह 8.40 बजे से शुरू होगी। 17 अक्टूबर को शाम 4.55 बजे खत्म हो जाएगी। आज देश भर में शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 05.04 बजे है। शरद पूर्णिमा के दिन राहुकाल का समय दोपहर 12.05 बजे से दोपहर 01.31 बजे तक रहेगा। भद्रा का समय रात 08.40 बजे से 17 अक्टूबर सुबह 6.22 बजे तक रहेगा।

शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का समय


शरद पूर्णिमा पर चांद की रोशनी में खीर रखने की परंपरा है। इसका मुहूर्त समय शाम 7.18 बजे हैं। इस दौरान रवि योग रहेगा। अगर इस समय खीर नहीं रख पाते हो तो 8.40 बजे से पहले ही चांद की रोशनी में खीर जरूर रख दें। इसके बाद भद्रा शुरू हो जाएगा। भद्रा काल में खीर नहीं रखी जाती है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात में देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर घूमने आती हैं। जो लोग इस दिन पूजा-अर्चना करते हैं। उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस दिन चंद्रमा पूर्ण रूप में होता है। उसकी किरणों में औषधीय गुण पाए जाते हैं। जिससे इस खीर का सेवन करना किसी अमृत से कम नहीं है। शरद पूर्णिमा का त्योहार बिहार, बंगाल और झारखंड में खासतौर पर मनाया जाता है। बंगाल में इस दिन लक्ष्मी पूजा भी मनाई जाती है।

शरद पूर्णिमा को क्‍यों कहा जाता है कोजागिरी

बिहार और पश्चिम बंगाल में कोजागरा व्रत मनाया जाता है। कोजागरा का अर्थ होता है‘कौन जाग रहा है।’ इस दिन लोग रात को जागकर मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। मान्यता है कि जो इस रात जागता है, मां लक्ष्मी उसके घर समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन को शरद पूर्णिमा भी कहते हैं। मान्यता है कि इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था।

कोजागरा व्रत की रात में मां लक्ष्मी की पूजा के बाद मखाने और बताशे का प्रसाद बांटा जाता है। रात लोग कौड़ी भी खेलते हैं। माना जाता है कि कौड़ी समुद्र से उत्पन्न होती है और देवी लक्ष्मी को बहुत प्रिय है। इसलिए उनकी पूजा में कौड़ी भी अर्पित की जाती हैं।

Aaj ka Rashifal: घर और ऑफिस में कैसा बीतेगा आज का दिन? बुधवार 16 अक्टूबर का राशिफल

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।