हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का विशेष महत्व है। इसे बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। ये पर्व माता शीतला को समर्पित होता है, जिन्हें रोग नाशिनी देवी माना जाता है। मान्यता है कि माता शीतला की पूजा करने से चेचक, खसरा और अन्य संक्रामक रोगों से सुरक्षा मिलती है। इस दिन भक्तगण बासी भोजन ग्रहण करते हैं और देवी को ठंडा प्रसाद अर्पित करते हैं, क्योंकि उन्हें शीतल चीजें अत्यंत प्रिय हैं। शीतला अष्टमी पर घर-घर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और संतान संबंधी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता शीतला की कथा सुनती हैं।
विशेष रूप से उत्तर भारत में इस पर्व को बड़े श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। अगर आप भी इस साल माता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो जानें शीतला अष्टमी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि।
शीतला अष्टमी 2025 की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, शीतला अष्टमी व्रत 22 मार्च 2025, शनिवार को मनाया जाएगा।
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 22 मार्च 2025 को सुबह 04:23 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 23 मार्च 2025 को सुबह 05:23 बजे
शीतला अष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त
पूजा का समय: 22 मार्च 2025 को सुबह 06:23 से शाम 06:33 तक
कुल अवधि: 12 घंटे 11 मिनट
शीतला अष्टमी की पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- व्रत का संकल्प लें और पूजा की थाली तैयार करें।
- एक थाली में बासी भोजन और दूसरी में पूजा सामग्री जैसे दीपक, रोली, चंदन, अक्षत, सिंदूर, सिक्के, मेहंदी, फूल और माला रखें।
- माता शीतला को जल अर्पित करें और बासी भोजन का भोग लगाएं।
- शीतला माता की कथा पढ़ें और आरती करें।
बासी भोजन का भोग क्यों लगाया जाता है?
शीतला माता को शीतल यानी ठंडी चीजें पसंद होती हैं, इसलिए इस दिन बासी भोजन खाने की परंपरा है। शीतला सप्तमी और अष्टमी दोनों दिन माता को ठंडी चीजों का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि माता शीतला चेचक, खसरा जैसे रोगों से बचाव करती हैं और इन बीमारियों से सुरक्षा के लिए उनकी पूजा की जाती है।
शीतला अष्टमी का व्रत रखने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और माता की कृपा प्राप्त होती है।