होली की मस्ती के रंग फीके पड़ते ही, रंग पंचमी का उल्लास चारों ओर छा जाता है। फाल्गुन पूर्णिमा को होली का भव्य आयोजन करने के ठीक पांच दिन बाद, रंगों का ये अनोखा पर्व पूरे श्रद्धा और उमंग के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने प्रेम और आनंद के रंगों में सराबोर होकर होली खेली थी। यही कारण है कि मथुरा-वृंदावन में इसे होली उत्सव का अंतिम दिन माना जाता है। लोककथाओं के अनुसार, देवी-देवता भी इस दिन पृथ्वी पर अवतरित होकर होली के रंगों में रम जाते हैं।
इस दिन गुलाल उड़ाने और देवी-देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। ये पर्व केवल रंगों का नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति और उल्लास का संगम है, जो आध्यात्मिकता और संस्कृति को एक नई ऊंचाई देता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष रंग पंचमी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाएगी।
पंचमी तिथि 18 मार्च 2025 को रात 10:12 बजे से प्रारंभ होगी।
इसका समापन 20 मार्च की सुबह 12:40 बजे (19 मार्च की रात) को होगा।
उदयातिथि के अनुसार, रंग पंचमी 19 मार्च 2025 (मंगलवार) को मनाई जाएगी।
इस दिन विशेष मुहूर्त में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:52 से 5:40 बजे तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:30 से 3:54 बजे तक।
संध्या मुहूर्त: शाम 6:30 से 6:55 बजे तक।
इन शुभ मुहूर्तों में पूजा करने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
रंग पंचमी का धार्मिक महत्व
रंग पंचमी का पर्व आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने एक-दूसरे को गुलाल लगाया था और ब्रजभूमि में होली खेली थी।
इस अवसर पर देवता भी पृथ्वी पर अवतरित होकर रंगों से होली खेलने आए थे।
कहा जाता है कि इस दिन देवी-देवताओं को गुलाल और अबीर अर्पित करने से कुंडली के दोष समाप्त हो जाते हैं।
जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
इस दिन धार्मिक अनुष्ठान और हवन करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
रंग पंचमी के दिन कई जगहों पर गुलाल और फूलों की होली खेली जाती है। इस दिन विशेष रूप से मंदिरों में पूजा-अर्चना की जाती है और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। मथुरा-वृंदावन, उज्जैन और इंदौर में रंग पंचमी का उत्सव बेहद भव्य तरीके से मनाया जाता है।