Adani Dharavi Project: किस तरह से बदल जाएगा मुंबई का स्लम? अदाणी ग्रुप के प्लान पर धारावी कैसे बदलेगी अपनी धारा?
Adani Dharavi Project: अदाणी ग्रुप की योजना धारावी को 300 करोड़ डॉलर में कायापलट की है। हालांकि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अकाउंटिंग फ्रॉड और स्टॉक मैनिपुलेशन का आरोप लगने के बाद से ग्रुप के कंपनियों की मार्केट वैल्यू 10 हजार करोड़ डॉलर से अधिक घट चुकी है। ग्रुप ने आरोपों से इनकार किया है लेकिन इसके चलते राजनीतिक पार्टियों की तरफ से धारावी की कायापलट को लेकर अदाणी ग्रुप की योजना को रद्द करने का दबाव बढ़ रहा है
धारावी को फिट करने के लिए 90 के दशक से मुंबई सरकार कोशिश कर रही है। हालांकि पिछले साल इसमें एकाएक काफी बदलाव आया जब महाराष्ट्र सरकार ने धारावी के टेंडर में तेजी लाई। अदाणी ग्रुप की रियल एस्टेट इकाई अदाणी रियल्टी (Adani Realty) ने पिछले साल नवंबर में 620 करोड़ डॉलर का पहला इंस्टॉलमेंट बिड जीत लिया।
Adani Group Dharavi Project: अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट ने अदाणी ग्रुप को तगड़ा झटका दिया। 24 जनवरी को रिपोर्ट आने के बाद से ग्रुप लगातार विदेशी निवेशकों का भरोसा जीतने की कोशिश कर रहा है। अब इसे लेकर ग्रुप की सबसे बड़ी परीक्षा धारावी (Dharavi) में है। यहां लाखों लोग रहते हैं और मुंबई का स्लम है। इसे दुनिया के सबसे महंगे शहरी रियल एस्टेट में शुमार किया जाता है। अदाणी ग्रुप की धारावी को लेकर क्या योजना है, इसे लेकर अभी पूरी तरह से कुछ स्पष्ट नहीं है। पिछले साल ग्रुप ने इसे फिर से डेवलपर करने की बिड हासिल की थी। इसके तहत ग्रुप दुनिया के सबसे बड़े स्लम एरिया में शुमारा धारावी को मॉडर्न अपार्टमेंट्स, ऑफिसों और मॉल में बदल सकते हैं।
अगर ग्रुप की यह योजना सफल होती है तो देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में अदाणी ग्रुप की स्थिति और मजबूत हो जाएगी, जहां यह देश का सबसे व्यस्त एयरपोर्ट भी ऑपरेट करता है। धारावी की कायापलट होने का प्रोजेक्ट इस बात का एक ब्लूप्रिंट बन सकता है कि किस प्रकार अनौपचारिक तौर पर बसे इलाकों में निवेश को बढ़ावा दिया जाए।
Adani Group के सामने ये हैं चुनौतियां
यूरोप में फ्रांस और इटली के बीच स्थित मोनैको दुनिया का दूसरा सबसे छोटा देश है और धारावी लगभग इसी के बराबर है। मुंबई प्रशासन कई दशकों से इसका रूप बदलने की कोशिश की। हालांकि इसके कायापलट के लिए तीन चीजों को एक साथ संभालने की जरूरत है- जमीन के बड़े हिस्से का अधिग्रहण, बिना स्थायी सुविधाओं के निवेशकों को आकर्षित करना और बड़े पैमाने पर लोगों को फिर से बसाना। धारावी की बात करें तो यहां इमारतें जर्जर हैं और वे लोग रिडेवलपमेंट को लेकर काफी सशंकित हैं क्योंकि उन्हें कारोबार चौपट होने की चिंता है और ऐसे गरीब इलाके में अमीरों को लाने की योजना जहां पहले से ही करीब 2 करोड़ लोग हैं। ब्लूमबर्ग से बातचीत में 43 वर्षीय एक चमड़ा कारोबारी राजकुमार खंडारे का कहना है कि उन्हें नहीं पता अदाणी किस तरह से धारावी को डेवलप करेंगे। धारावी की इनफॉर्मल इकोनॉमी करीब 100 करोड़ डॉलर की है।
अदाणी ग्रुप की योजना धारावी को 300 करोड़ डॉलर में कायापलट की है। हालांकि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अकाउंटिंग फ्रॉड और स्टॉक मैनिपुलेशन का आरोप लगने के बाद से ग्रुप के कंपनियों की मार्केट वैल्यू 10 हजार करोड़ डॉलर से अधिक घट चुकी है। ग्रुप ने आरोपों से इनकार किया है लेकिन इसके चलते राजनीतिक पार्टियों की तरफ से धारावी की कायापलट को लेकर अदाणी ग्रुप की योजना को रद्द करने का दबाव बढ़ रहा है। अदाणी ग्रुप के प्रवक्ता ने इस पर तब तक कुछ बोलने से इनकार कर दिया, जब तक धारावी प्रोजेक्ट के लिए इसे सरकार से फाइनल लेटर ऑफ अप्रूवल नहीं मिल जाता है।
सारी दिक्कतों के बावजूद अदाणी ग्रुप के पक्ष में भी कई चीजें हैं। अदाणी ग्रुप के मालिक गौतम अदाणी को मजबूत राजनीतिक सपोर्ट है और दो दशकों से भी लंबे समय से पीएम मोदी से उनके अच्छे संबंध हैं। वहीं अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंबई में लंबे समय से अटके पड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस दिखाना चाहते हैं जिसमं मेट्रो नेटवर्क को पूरा करना, समुद्र से सटी एक नई सड़क और धारावी की कायापलट शामिल है। पॉलिटिकल रिस्क कंसल्टेंसी यूरेशिया ग्रुप के साउथ एशिया प्रैक्टिस हेड प्रमीत लाल चौधरी के मुताबिक अदाणी ने अपनी किस्मत को सीधे मोदी सरकार से जोड़ दिया है और अब वह इसे छोड़ने वाले नहीं हैं। प्रमीत लाल के मुताबिक धारावी प्रोजेक्ट राजनीतिक तौर पर भी बहुत महत्वपूर्ण है।
बीकेसी से नजदीकियों ने बढ़ाई धारावी के निवासियों की चिंता
धारावी पर इसलिए जोर दिया जा रहा है क्योंकि यह ब्रांद्रा कुर्ला कांप्लैक्स (BKC) के पास ही स्थित जो अब एक शानदार वित्तीय जिला बन चुका है और महज तीन दशक पहले बंजर दलदली जमीन थी। यहां एपल, जेपीमॉर्गन जैसी दिग्गज कंपनियों के ऑफिस, बड़े-बड़े मॉल इत्यादि स्थित हैं। बीकेसी में जमीनें बहुत महंगी हैं। इसे सालाना प्रति स्क्वॉयर फुट 97 डॉलर (7949.20 करोड़ रुपये) का ऑफिस किराया मिलता है। इसकी तुलना लंदन, न्यूयॉर्क से करें तो रियल एस्टेट ब्रोकर जोन्स लैंग लासले इंक के मुताबिक लंदन के मुख्य वित्तीय जिले में यह आंकड़ा 101 डॉलर और डाउनटाउन न्यूयॉर्क में 102 डॉलर है।
धारावी के निवासियों की एक चिंता यह है कि यह दूसरी बीकेसी न बन जाए। यहां दस साल से भी अधिक समय से लेडर ब्रीफकेस का कारोबार करने वाले अबू बकर का कहना है कि यह इलाका सस्ता है जिसके चलते उन्होंने इसे वर्कशॉप के लिए चुना था लेकिन अब इस बात का डर सता रहा है कि कहां वह मार्केट से बाहर न हो जाएं। उनका कहना है कि किराया महंगा हो गया तो इसका भार उठाना मुश्किल हो जाएगा।
क्या हो सकता है धारावी के लोगों का
मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी धारावी की कायापलट पर नजर रख रही है। इस अथॉरिटी के शीर्ष अधिकारी श्रीनिवास के मुताबिक यहां फिर से बसने के लिए साबित करना होगा कि वे 1 जनवरी 2000 से पहले यहां रहते हैं लेकिन उनका यह भी कहना है कि करीब 40 फीसदी लोगों के पास इसका कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। मुंबई में धारावी के निवासियों के लिए किफायती आवास बनाने के लिए सरकार ने अब तक 50 एकड़ (20 हेक्टेयर) से कम जमीन हासिल कर लिया है।
श्रीनिवास का कहना है कि धारावी के लोगों को बस यूंही निकलने के लिए नहीं कहा जा सकता है और इससे निपटना होगा। धारावी को लेकर अदाणी की योजना अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है लेकिन श्रीनिवास के मुताबिक सात साल के भीतर यहां के लोगों को फिर से बसाने की है। अदाणी इस ब्राउनफील्ड लैंड को मार्केट के हिसाब से रेजिडेंशियल और कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के तौर पर डेवलप करने के लिए स्वतंत्र हैं।
कैसे बसी धारावी
मुस्लिम चमड़ा कारोबारियों ने धारावी को अनौपचारिक तौर पर बसाया था। इसके बाद देश भर के लोग यहां आने लगे और यहां रहने लगे। जैसे-जैसे मुंबई आगे बढ़ी, उसके बाद से यह स्लम एरिया मुंबई के किनारे की बजाय सीधे इसके केंद्र में आ गई। करीब 15 साल पहले 2008 में ऑस्कर जीतने वाली फिल्म स्लमडाग मिलेनियर ने एक बार धारावी की तरफ सबका ध्यान खींचा। बड़े पर्दे पर इसकी यथास्थिति को दिखाने को लेकर आलोचना भी हुई थी और कहा गया कि यह धारावी का एकतरफा चित्रण है। धारावी एक प्रमुख मतदाता क्षेत्र है लेकिन शहर की राजनीति में इनका खास दखल नहीं है। यहां अधिकतर काम कपड़े, चमडे़ और मिट्टी के बर्तनों का है।
कब से हो रही कायापलट की कोशिशें
धारावी को फिट करने के लिए 90 के दशक से मुंबई सरकार कोशिश कर रही है। हालांकि पिछले साल इसमें एकाएक काफी बदलाव आया जब महाराष्ट्र सरकार ने धारावी के टेंडर में तेजी लाई। अदाणी ग्रुप की रियल एस्टेट इकाई अदाणी रियल्टी (Adani Realty) ने पिछले साल नवंबर में 620 करोड़ डॉलर का पहला इंस्टॉलमेंट बिड जीत लिया। प्रमीत लाल के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार में बीजेपी काफी मजबूत स्थिति में है और मुंबई में सारे प्रोजेक्ट्स अधिक से अधिक तेजी से पूरे होने वाले हैं।