केंद्र सरकार ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े एक सप्लीमेंट्री बजट के तहत, डिफेंस बजट में 50,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राशि आवंटित कर सकती है। सरकारी सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। अगर इस अतिरिक्त राशि को मंजूरी मिल जाती है, तो इसके साथ वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कुल डिफेंस बजट 7 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को संसद में पेश किए गए केंद्रीय बजट 2025–26 में डिफेंस सेक्टर को 6.81 लाख करोड़ का रिकॉर्ड आवंटन दिया था। यह पिछले वित्त वर्ष 6.22 लाख करोड़ रुपये के आंवटन से 9.2% अधिक है।
किन क्षेत्रों में होगा खर्च?
सूत्रों का कहना है कि इस अतिरिक्त धनराशि का इस्तेमाल डिफेंस सेक्टर से जुड़े रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D), हथियारों और गोला-बारूद की खरीद और रणनीतिक सैन्य उपकरणों की तैनाती में किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि इस अतिरिक्त बजट को मंजूरी देने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव लाया जा सकता है।
2014 में सत्ता में आने के बाद से नरेंद्र मोदी सरकार ने डिफेंस सेक्टर को प्राथमिकता दी है। पहली बार सरकार बनने पर रक्षा मंत्रालय को ₹2.29 लाख करोड़ का आवंटन मिला था, जो अब तीन गुना से अधिक हो चुका है। फिलहाल रक्षा मंत्रालय को मिलने वाला बजट भारत के कुल बजट का 13% है, जो किसी भी मंत्रालय के मुकाबले सबसे अधिक है।
ऑपरेशन सिंदूर और बढ़ती सुरक्षा चुनौतियां
रक्षा बजट में बढ़ोतरी की यह चर्चा पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच आया है। खासतौर से 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था।
ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय सेना की सामरिक सटीकता और एयर डिफेंस सिस्टम की मजबूती ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। भारत के ‘आकाश’ मिसाइल डिफेंस सिस्टम की सराहना कई अंतरराष्ट्रीय एनालिस्ट्स ने इजराइल के प्रसिद्ध ‘आयरन डोम’ से की है।
स्वदेशी रक्षा प्रणाली को बल
हाल ही में भारत ने ‘भर्गवास्त्र’ नाम के एक काउंटर-ड्रोन सिस्टम का सफल ट्रायल भी किया है, जो 'हार्ड किल' मोड में कार्य करता है। यह परीक्षण ओडिशा के गोपालपुर सीवार्ड फायरिंग रेंज में किया गया, जहां सभी मिशन उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन के बाद कहा, “अगर हम रक्षा उपकरणों के विदेशों से खरीदते हैं, तो इसका मतलब है कि हम अपनी सुरक्षा किसी और के हाथों में सौंप रहे हैं। यह लॉन्ग-टर्म समाधान नहीं हो सकता।” यह बयान साफ बताता है कि भारत का जोर अब डिफेंस सेक्टर में 'आत्मनिर्भरता' पर है।
डिस्क्लेमरः Moneycontrol पर एक्सपर्ट्स/ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह उनके अपने होते हैं, न कि वेबसाइट और उसके मैनेजमेंट के। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।