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Vedanta ने जयप्रकाश एसोसिएट्स के अधिग्रहण के लिए ग्लोबल हेज फंडों से बातचीत शुरू की, डील के लिए वेदांता को चुकाने हैं 17000 करोड़

वेदांता समूह ने जेएएल के लिए सबसे ज्यादा बोली लगाई है। उसने अदाणी ग्रुप से ज्यादा बोली लगाई है। वेदांता को 17,000 करोड़ रुपये में जयप्रकाश एसोसिएट्स के अधिग्रहण के लिए पहले ही कॉम्पटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) की इजाजत मिल चुकी है

अपडेटेड Oct 16, 2025 पर 10:55 PM
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कई बड़े इंडस्ट्रियल समूहों ने जयप्रकाश एसोसिएट्स के लिए बोली लगाई थी। इनमें डालमिया भारत, नवीन जिंदल की अगुवावाई वाली जिंदल पावर और पीएनसी इंफ्राटेक शामिल थी।

दिग्गज उद्योगपति अनिल अग्रवाल का वेदांता समूह जयप्रकाश एसोसिएट्स (जेएएल) के अधिग्रहण के लिए ग्लोबल इनवेस्टर्स और हेज फंडों से 17,000 करोड़ जुटाना चाहता है। सूत्रों ने मनीकंट्रोल को यह बताया। वेदांता समूह ने जेएएल के लिए सबसे ज्यादा बोली लगाई है। उसने अदाणी ग्रुप से ज्यादा बोली लगाई है। सूत्रों ने बताया कि वेदांता ग्रुप ने कुछ फॉरेन हेज फंडों से शुरुआती बातचीत की है।

जेएलएल के अधिग्रहण के बाद वेदांता की पावर जेनरेशन कैपेसिटी बढ़ जाएगी

Vedanta Group ने फंड जुटाने के लिए यह बातचीत तब की है, जब जेएएल को लोन देने वाले बैंकों ने वेदांता से अधिग्रहण के लिए फंड का प्रूफ मांगा। अगर वेदांता ग्रुप जयप्रकाश एसोसिएट्स को खरीदने में सफल हो जाता है तो उसकी पावर जेनरेशन कैपेसिटी में काफी इजाफा हो सकता है। साथ ही रियल एस्टेट में भी उसकी एंट्री हो जाएगी। जयप्रकाश एसोसिएट्स के बाद काफी ज्यादा लैंड बैंक और टाउनशिप हैं। जयप्रकाश एसोसिएट्स दिवालिया हो चुकी है।


जेएलएल के अधिग्रहण के लिए वेदांता को मिल चुका है सीसीआई का एप्रूवल

इस बारे में वेदांता की प्रतिक्रिया जानने के लिए भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला। वेदांता को 17,000 करोड़ रुपये में जयप्रकाश एसोसिएट्स के अधिग्रहण के लिए पहले ही कॉम्पटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) की इजाजत मिल चुकी है। पिछले कुछ सालों से वेदांता समूह कर्ज के बोझ को कम करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, अब भी ग्रुप की होल्डिंग कंपनी वेदांता रिसोर्सेज पर काफी कर्ज है।

वेंदाता ग्रुप कर्ज के बोझ को घटाने की कर रहा कोशिश

वेदांता रिसोर्सेज अपनी इंडियन सब्सिडियरी कंपनियों-वेदांता लिमिटेड और हिंदुस्तान जिंक पर डिविडेंड और ब्रांड फीस के लिए काफी ज्यादा निर्भर है। फिच रेटिंग्स ने अगस्त में कहा था कि वेदांता रिसोर्सेज पर कर्ज का बोझ घटकर FY25 में 5 अरब डॉलर पर आ गया। यह FY22 में 9 अरब डॉलर था। इससे पता चलता है कि कंपनी का फोकस शेयरहोल्डर्स के रिटर्न की जगह कर्ज का बोझ कम करने पर है।

वायसराय रिसर्च ने वेदांता ग्रुप पर लगाए थे कई आरोप

हालांकि, वेदांता ग्रुप पर कर्ज के बोझ और गवर्नेंस को लेकर अब भी चिंता बनी हुई है। जुलाई में अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म वायसराय रिसर्च वेदांता पर अकाउंटिंग में गड़बड़ी, छुपी हुई लायबिलिटीज और अनसस्टेनेबल डेट प्रैक्टिसेज का आरोप लगाया था। उसने वेदांता पर कर्ज से लदी अपनी पेरेंट कंपनी की मदद के लिए इंडियन सब्सिडियरी कंपनियों का कैश डायवर्ट करने का भी आरोप लगाया था।

वेदांता ग्रुप ने वायसराय के आरोपों का किया था खंडन

वायसराय ने वेदांता के डीमर्जर प्लान पर भी रेगुलेटरी लेवल पर चिंता जताई थी। उसने वेदांता ग्रुप के ऑडिटर्स पर भी लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था। वेदांता ने इन आरोपों का खंडन किया था। उसने इन्हें गलत और आधारहीन बताया था। उसने दावा किया था कि उसके डिसक्लोजर्स और गवर्नेंस स्टैंडर्ड्स सभी लीगल और ऑडिट नॉर्म्स को पूरा करते हैं।

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कई इंडस्ट्रियल ग्रुप ने जेएएल के लिए लगाई गई थी बोली

कई बड़े इंडस्ट्रियल समूहों ने जयप्रकाश एसोसिएट्स के लिए बोली लगाई थी। इनमें डालमिया भारत, नवीन जिंदल की अगुवावाई वाली जिंदल पावर और पीएनसी इंफ्राटेक शामिल थी। इस साल की शुरुआत में 26 संभावित बिडर्स ने बोली लगाई थी। लेकिन, अंतिम राउंड में सिर्फ वेदांता और अदाणी ने बाइंडिंग ऑफर्स सब्मिट किए थे। जयप्रकाश एसोसिएट्स एक समय जेपी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी थी। इसके पोर्टफोलियो में इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, सीमेंट और हॉस्पिटैलिटी जैसे बिजनेसेज शामिल थे।

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