Bitcoin price: बिटकॉइन 3 दिन में 9% उछला, क्या फिर आएगी जोरदार तेजी? जानिए एक्सपर्ट से
Bitcoin price: तीन दिन में 9% उछाल, लेकिन बिटकॉइन के लिए एनालिस्ट अभी बड़ी तेजी नहीं देख रहे। रेट कट के संकेत, बदलती लिक्विडिटी और कमजोर होते डॉलर के बीच असली सवाल ये है, क्या यह उछाल टिकेगा या फिर गिरावट लौटेगी? जानिए एक्सपर्ट से।
बिटकॉइन में आगे रिकवरी तभी आ सकती है जब बाजार को कोई नया और मजबूत ट्रिगर मिले।
दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन 24 नवंबर को थोड़ी देर के लिए 88,000 डॉलर के ऊपर ट्रेड हुई। हालांकि बाद में इसमें कुछ गिरावट आई। यह उछाल हालिया समय में तेज करेक्शन के बाद आया है। एक्सपर्ट्स ने निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी है और कुछ अहम ट्रिगर्स बताए हैं, जिन पर क्रिप्टो निवेशकों को नजर रखनी चाहिए।
6 हफ्तों में 36% गिरने के बाद तेज रिकवरी
Coinmarketcap के डेटा के मुताबिक, बिटकॉइन 6 हफ्तों में अपने ऑल-टाइम हाई 1,26,198 डॉलर (6 अक्टूबर) से 36% टूटकर 21 नवंबर को 81,000 डॉलर के नीचे आ गया था। अब सिर्फ एक वीकेंड में यह करीब 7,000 डॉलर (9%) चढ़कर 88,097 डॉलर के हाई तक पहुंच गया। शाम 6:10 बजे तक यह 86,055 डॉलर पर ट्रेड हो रहा था।
बिटकॉइन में तेज उछाल क्यों आया?
बिटकॉइन में तेजी अमेरिका में रेट कट से जुड़ी है। क्रिप्टो मार्केट ने माना कि यूएस फेडरल रिजर्व दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। न्यूयॉर्क फेड के प्रेसिडेंट जॉन विलियम्स ने शुक्रवार को इसका संकेत देते कहा कि ब्याज दरें निकट भविष्य में कम हो सकती हैं।
अब निवेशक लगभग 60% संभावना जता रहे हैं कि दिसंबर की बैठक में फेड 25 बेसिस पॉइंट की रेट कट करेगा। रेट कट आने से मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ती है, डॉलर कमजोर होता है। इससे क्रिप्टो जैसे रिस्क एसेट्स में खरीदारी बढ़ती है।
अब क्रिप्टो मार्केट में आगे क्या होगा?
VT Markets के ग्लोबल स्ट्रेटेजी लीड रॉस मैक्सवेल का कहना है कि बिटकॉइन अब आगे और गिरेगा या वापस पुराने हाई की ओर जाएगा, यह कहना अभी मुश्किल है। मैक्सवेल के मुताबिक, हालिया गिरावट मैक्रो सिग्नल्स से जुड़ी है- सेंट्रल बैंक पॉलिसी, डॉलर की दिशा, रियल यील्ड में बदलाव।
मैक्सेवल का मानना है कि अगर नए पॉजिटिव ट्रिगर नहीं आए, तो जोरदार रिकवरी की गारंटी नहीं है।
ये फैक्टर ला सकते हैं रिकवरी और गिरावट
बिटकॉइन में आगे रिकवरी तभी आ सकती है जब बाजार को कोई नया और मजबूत ट्रिगर मिले। सबसे बड़ा असर फेडरल रिजर्व के बड़े रेट कट से हो सकता है। इससे लिक्विडिटी बढ़ती है और रिस्क एसेट्स की ओर दिलचस्पी लौटती है। इसके अलावा, कोई बड़ा जियोपॉलिटिकल इवेंट भी क्रिप्टो में सेफ-हेवन जैसी खरीद ला सकता है। अगर अमेरिका में रियल यील्ड कमजोर होती है तो डॉलर कमजोर पड़ेगा, जिससे बिटकॉइन को सपोर्ट मिल सकता है।
इसके उलट, कुछ फैक्टर बिटकॉइन की गिरावट और बढ़ा सकते हैं। अगर अमेरिकी डॉलर फिर से मजबूत होता है या रियल यील्ड में तेजी आती है, तो क्रिप्टो जैसी हाई-बीटा एसेट्स पर दबाव बढ़ सकता है। इसके साथ ही, अगर बाजार में क्रिप्टो को लेकर निवेशकों का भरोसा और कमजोर होता है, तो फंड्स से आउटफ्लो बढ़ सकते हैं और गिरावट गहराती जा सकती है।
बिटकॉइन का आउटलुक कैसा है?
मैक्सवेल का कहना है कि इस वक्त बिटकॉइन का आउटलुक 'सावधानी से संतुलित' दिख रहा है। यानी इसमें तेजी की संभावना भी है और गिरावट का रिस्क भी बना हुआ है। इसलिए यह मान लेना कि बिटकॉइन जल्द ही अपने पुराने ऑल-टाइम हाई पर पहुंच जाएगा, फिलहाल जल्दबाजी होगी।
Primus Partners के एमडी श्रवण शेट्टी के मुताबिक, बिटकॉइन आगे भी उतार-चढ़ाव वाला रहेगा, लेकिन एक एक्टिव और अहम एसेट क्लास बना रहेगा। उनकी राय में हाल ही में गोल्ड के साथ बिटकॉइन में भी बड़े पैमाने पर इनफ्लो आए, जिससे कीमतें ऊपर गईं। लेकिन जैसे ही ग्लोबल रिस्क-ऑफ माहौल शुरू हुआ, मार्केट में तेज डिलेवरेजिंग हुई और शॉर्ट-टर्म पैनिक ने कीमत को नीचे धकेल दिया।
सिर्फ बिटकॉइन में गिरावट नहीं
INVasset PMS के हेड हर्षल दसानी ने कहा कि बिटकॉइन में हालिया तीखी गिरावट अकेली नहीं है, बल्कि दुनियाभर में हाई-बीटा एसेट्स से पैसा निकल रहा है। गोल्ड और सिल्वर जैसी हार्ड एसेट्स में भारी खरीदारी हो रही है। वहीं, बिटकॉइन से लगातार आउटफ्लो दिख रहा है, जो बताता है कि संस्थागत निवेशकों का भरोसा कमजोर पड़ा है।
दसानी के मुताबिक, बिटकॉइन को फिर से हाई छूने के लिए बहुत मजबूत रिस्क अपेटाइट और बड़ी संस्थागत खरीद की जरूरत है। अभी के लिए स्ट्रक्चरल फ्लो क्रिप्टो के खिलाफ जा रहे हैं। बिटकॉइन को 'सेफ हेवन' की बजाय 'लिक्विडिटी सोर्स' की तरह देखा जा रहा है। उनका कहना है कि फिलहाल बिटकॉइन में तेज रिकवरी के मुकाबले डाउनसाइड की आशंका अधिक है।
'खरीदकर भूल जाने वाली एसेट नहीं'
Bybit India के कंट्री मैनेजर विकास गुप्ता का मानना है कि बिटकॉइन की हाल की गिरावट किसी बड़े संस्थागत निवेशक के बाहर निकलने से नहीं, बल्कि ज्यादातर प्रॉफिट-बुकिंग की वजह से हुई है। यानी लंबी अवधि के बड़े निवेशकों का भरोसा अभी कमजोर नहीं पड़ा है, बस कुछ निवेशकों ने हाई प्राइस पर मुनाफा लिया है।
Vibhavangal Anukulakara के फाउंडर और एमडी सिद्धार्थ मौर्य ने कहा कि अभी बिटकॉइन एक तरह के 'डिसिजन जोन' में है। हाई से लगभग 30% की गिरावट यह दिखाती है कि रिस्क कम नहीं, बल्कि बढ़ रहा है। जब तक कोई बड़ा ट्रिगर नहीं आता, तब तक तेजी सीमित रहेगी। जैसे कि फेड का मजबूत रेट कट, ETF में भारी इनफ्लो, या कोई पॉजिटिव रेगुलेटरी कदम।'
सिद्धार्थ ने कहा कि अगर ग्लोबल हालात और बिगड़े, तो बिटकॉइन और नीचे जा सकता है। इसलिए फिलहाल यह 'खरीदकर भूल जाने' वाली चीज नहीं है, बल्कि 'देखो-और-इंतजार करो' वाली स्थिति है।