वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को बजट (Budget 2020) में जो ऐलान किया, उससे क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को इंडिया में बैक डोर एंट्री मिल गई है। वित्तमंत्री ने कहा कि 'वर्चुअल एसेट्स' से इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा। इसके अलावा इसके ट्रांजेक्शन पर 1 फीसदी टीडीएस लागू होगा। उम्मीद थी कि बजट में वित्तमंत्री क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पॉलिसी का ऐलान करेंगी। लेकिन, उन्होंने इस मसले पर बहुत संक्षिप्त बातें कहीं। उन्होंने क्रिप्टकरेंसी शब्द का इस्तेमाल भी नहीं किया। इसकी जगह उन्होंने वर्चुअल एसेट्स का इस्तेमाल किया।
क्रिप्टोकरेंसी को भारत में मान्यता मिल गई है। वित्तमंत्री के बयान से यह जाहिर हो गया। इसकी वजह यह है कि कैसे कोई सरकार ऐसी चीज पर टैक्स लगा सकती है, जो अवैध हो। यह देश में क्रिप्टो के लाखों निवेशकों के लिए अच्छी खबर है। हालांकि, इससे हुए मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स बहुत ज्यादा है। ट्रांजेक्शन पर 1 फीसदी टैक्स भी लगेगा। क्रिप्टो के इन्वेस्टर्स पर इस पर प्रतिबंध का डर सता रहा था। अगर इसे सरकार बैन करती है तो इसकी कीमतें बहुत गिर जाएंगी। इससे क्रिप्टो इन्वेस्टर्स को भारी नुकसान हो सकता है। अब इसकी आशंका खत्म हो गई है।
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में क्रिप्टोकरेंसी के करीब 1.5 करोड़ निवेशक हैं। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। इसकी वजह है क्रिप्टो से मिलने वाला मुनाफा। अब तक सरकार और खासकर आरबीआई का रुख क्रिप्टो लेकर बहुत सख्त रहा है। आरबीआई तो शुरू से ही इसके खिलाफ रहा है। हालांकि, सरकार ने हाल में अपना रुख बदला है। उसने कहा है कि इस बारे में सरकार एक व्यापक कानून बनाएगी। इस बारे में चर्चा चल रही है।
आरबीआई (RBI) का मानना है कि ऐसी करेंसी जो रेगुलेशन से बाहर है, उससे देश की सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता को खतरा पैदा हो सकता है। इसीलिए आरबीआई पिछले कुछ समय से डिजिटल करेंसी लॉन्च करने पर जोर दे रहा है। बजट में वित्तमंत्री ने यह ऐलान किया कि केंद्रीय बैंक इस साल डिजिटल करेंसी लॉन्च कर देगा। यह सॉवरेन करंसी होगी, जिसका इस्तेमाल पेमेंट के लिए हो सकेगा। खरीदारी के लिए हम उसी तरह इसका इस्तेमाल कर सकेंगे, जैसे करेंसी नोट का करते हैं।