Budget 2022 : पिछले साल के बजट में नॉन रेजिडेंट इंडियंस (एनआरआई) की समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ कदम उठाए गए थे। एनआरआई को वन परसन कंपनीज (ओपीसी) शुरू करने की मंजूरी से उनके लिए भारत में बिजनेस करना आसान हो गया। अफोर्डेबिल हाउसिंग को टैक्स बेनिफिट्स और इस सेगमेंट में टैक्स हॉलिडेज का फायदा एनआरआई को भी दिया गया। सरकार ने कई देशों द्वारा लॉकडाउन और फ्लाइट्स बैन को देखते हुए रेजिडेंसी रूल्स भी लचीले कर दिए थे।
हालांकि, उनकी कई पुरानी मांगें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एनआरआई अगले महीने पेश होने वाले बजट में निम्नलिखित कुछ बदलावों की उम्मीद कर रहे हैं।
उदार टैक्स विदहोल्डिंग रूल
Lenient tax witholding rules: जब टीडीएस की बात आती है तो एनआरआई के पास गुंजाइश कम ही होती है। जब वे 50 लाख रुपये से कम की प्रॉपर्टी बेचते हैं तो उन्हें दो साल से ज्यादा समय तक प्रॉपर्टी होल्ड करने पर कैपिटल गेंस (capital gains) पर 20 फीसदी टीडीएस देना होता है। वहीं शॉर्ट टर्म यानी दो साल से कम समय पर कैपिटल गेंस की स्थिति में इनकम टैक्स स्लैब के तहत टीडीएस लगता है। 50 लाख रुपये से ज्यादा की प्रॉपर्टी होने पर एलटीसीजी टैक्स (LTCG tax) पर सरचार्ज लगता है, जिससे टीडीएस रेट बढ़ जाती है।
इसी प्रकार, रेजिडेंट इनवेस्टर्स पर स्टॉक और म्यूचुअल फंड्स में कोई टीडीएस नहीं लगता है, वहीं एनआरआई को सबसे ज्यादा लागू टैक्स रेट्स पर टीडीएस देना होता है। एनआरआई इस बजट में उनके और रेजिडेंट टैक्सपेयर्स के साथ टीडीएस नियमों (TDS rules) में समानता की उम्मीद कर रहे हैं।
Basic exemption limit: एनआरआई की एक अन्य बड़ी समस्या है कि वे 2.5 लाख रुपये की बेसिक छूट सीमा के एवज में अपने कैपिटल गेंस को एडजस्ट नहीं कर सकते हैं। यदि एक रेसिडेंट का कैपिटल गेंस बेसिक छूट सीमा से कम हैं तो कोई टैक्स की देनदारी नहीं होती। हालांकि, एनआरआई को 2.5 लाख रुपये से कम इनकम होने के बावजूद कैपिटल गेंस पर पूरा टैक्स देना होता है।
Investing restrictions : दूसरे टैक्सपेयर की तरह, एनआरआई सेक्शन80सी के तहत 1.5 लाख रुपये और सेक्शन 80सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस में 50,000 रुपये के निवेश पर डिडक्शन के लिए इलिजिबल हैं। हालांकि, वह सीमित विकल्पों में ही निवेश कर सकते हैं। वे सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम, पीपीएफ अकाउंट या एनएससी या पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट में निवेश नहीं कर सकते हैं।
Equal tax deductions: एनआरआई कुछ अन्य छोटे बेनिफिट चाहते हैं, हालांकि ये कुछ लोगों के लिए अहम हैं। एनआरआई भले ही विदेश में रहते हैं, लेकिन उनके यहां पर संबंधी और परिवार वाले रहते हैं। हालांकि, एनआरआई दिव्यांग आश्रितों के मेडिकल ट्रीटमेंट (सेक्शन 80डीडी), विशेष बीमारियों से पीड़ित परिजनों के ट्रीटमेंट (सेक्शन 80 डीडीबी) और खुद या आश्रित की अपंगता (सेक्शन 80यू) सहित कुछ डिडक्शन के लिए इलिजिबल नहीं हैं। इस तरह के बेनिफिट एनआरआई को भी मिलने चाहिए।