वित्त वर्ष 2022-23 के बजट (Budget 2022) में एक आंकड़े पर लोगों की खास निगाहें होंगी। वह है डिसइन्वेस्टमेंट टार्गेट (Disinvestment Target)। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी (Budget Date) को अगले वित्त वर्ष का बजट पेश करेंगी। आइए जानते हैं डिसइन्वेस्टमेंट को लेकर सरकार का अब तक का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा रहा है। हम यह भी जानेंगे कि अगले वित्त वर्ष के लिए डिसइन्वेस्टमेंट टार्गेट कितना हो सकता है।
डिसइन्वेस्टमेंट टार्गेट हासिल करने का सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। इसके बावजूद करीब हर साल सरकार ने इस लक्ष्य को बढ़ाया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगले वित्त वर्ष के लिए भी विनिवेश के लक्ष्य में ज्यादा बदलाव नहीं दिखेगा। इसके बावजूद कि सरकार के चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार के विनिवेश लक्ष्य से चूक जाने के आसार दिख रहे हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में डिसइन्वेस्टमेंट टार्गेट 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये के बीच हो सकता है। हालांकि, यह इस वित्त वर्ष के दौरान एलआईसी के डिसइन्वेस्टमेंट पर निर्भर करेगा।
सरकार ने दो साल पहले भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के डिसइन्वेस्टमेंट का प्रोसेस शुरू किया था। अब तक यह प्रोसेस पूरा नहीं हुआ है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष (2021-22) के लिए डिसइन्वेस्टमेंट का 1.75 लाख करोड़ रुपये का टार्गेट तय किया है। इसमें से 1 लाख करोड़ रुपये सिर्फ एलआईसी के विनिवेस से हासिल होने की उम्मीद जताई गई है। सरकार के अधिकारियों ने कहा है कि एलआईसी का डिसइन्वेस्टमेंट इस साल मार्च तक पूरा हो जाएगा। लेकिन, अभी इसकी उम्मीद कम दिखती है। यही वजह है कि एनालिस्ट्स यह मानने लगे हैं कि चालू वित्त वर्ष में सरकार एलआईसी के विनिवेश से अपनी तिजोरी भरने में कामयाब नहीं होगी।
मॉर्गन स्टेनली ने अपनी बजट नोट में लिखा है, "एलआईसी में डिसइन्वेस्टमेंट का प्रोसेस सरकार इस साल मार्च तक पूरा कर लेना चाहती है। लेकिन, अभी बचे समय को देखते हुए इस प्रोसेस के आगे बढ़ जाने के आसार हैं। ऐसा होने पर हमें अगले वित्त वर्ष में डिसइन्वेस्टमेंट टार्गेट 1.25 लाख करोड़ रुपये ज्यादा रहने की उम्मीद है।"
इस वित्त वर्ष के दौरान सरकार को बीपीसीएल, बीईएमएल, शिपिंग कॉर्पोरेशन और दो सरकारी बैंकों में विनिवेश करना था। लेकिन ऐसा लगता है कि अब इनका विनिवेश अगले वित्त वर्ष में हो पाएगा। मौजूदा हालात में सरकार विनिवेश के प्रोसेस में सुस्ती दिखा सकती है। इसकी वजह है कि अभी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। दूसरी वजह यह है कि स्टॉक मार्केट्स की स्थितियां भी अनुकूल नहीं हैं।