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Budget 2022: इन 6 सेक्टर्स पर ध्यान देने से हकीकत में बदल सकते हैं भारत के आर्थिक सपने

Budget 2022: बजट में सरकार को अपना वित्तीय घाटा कम करने और मैन्युफैक्चरिंग, टेक्सटाइल्स और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर्स पर फोकस करने की जरूरत है

अपडेटेड Jan 08, 2022 पर 2:22 PM
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Budget 2022: वित्त मंत्रालय के सामने 1 फरवरी 2022 को एक व्यवहारिक बजट पेश करने का एक चुनौतीपूर्ण कार्य है

Budget 2022: जहां एक तरफ 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आंकाक्षा है। वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर से देश में कोरोना के बढ़ते केसों के चलते लॉकडाउन लगने और सप्लाई चेन से चुड़ी चुनौतियां खड़ी खड़ी होने का जोखिम है। ऐसे में वित्त मंत्रालय के सामने इन जोखिमों और चिंताओं को संबोधित करना और 1 फरवरी 2022 को एक व्यवहारिक बजट पेश करने का एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

प्राइवेट सेक्टर की कैपिसिटी यूटिलाइजेशन अभी भी 70 पर्सेंट से नीचे हैं और कम से कम अगले एक दो तिमाहियों तक इसमें तेजी आने की उम्मीद नहीं दिखती है। ऐसे में सरकार को खपत और मांग को बढ़ावा देने के लिए खर्च जारी रखने की जरूरत है।

सरकार को अगले बजट वर्ष के लिए अपने वित्तीय घाटे को कवर करने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), एसेट मॉनेटाइजेशन और विनिवेश के जरिए फंड जुटाने का लक्ष्य रखना चाहिए। बड़े स्तर पर, मैन्युफैक्चरिंग, टेक्सटाइल्स और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर्स को बढ़ावा देने से रोजगार भी पैदा होंगे। साथ ही इनका MSME सहित बहुत सारे सहायक उद्योगों पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे में बजट में इन सेक्टर पर प्राथमिकता देनी रहनी चाहिए।


मेरे हिसाब से भारत के आर्थिक सपने को साकार करने के लिए आगामी बजट में वित्त मंत्री को 6 सेक्टर्स या इंडस्ट्रीज पर फोकस करने की जरूरत है। इन सेक्टर्स या इंडस्ट्रीज को लेकर मेरी बजट से निम्न उम्मीद हैं-

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1. घर खरीदारों को प्रोत्साहन

रियल्टी सेक्टर रोजगार पैदा करने के साथ-साथ कई छोटे और मझोले उद्योगों को भी समर्थन करता है। आवासीय घरों या कमर्शियल प्रॉपर्टीज की मांग बढ़ने से अप्रत्यक्ष रूप से इसे जुड़े सबी सेक्टर को लाभ मिलेगा। अभी होम लोन की दरें काफी कम हैं, ऐसे में यह घर खरीदारों के लिए एक उपयुक्त समय है। होम लोन पर ब्याज का भुगतान या मूलधन चुकाने से जुड़े टैक्स लाभ की वर्तमान सीमा को क्रमश: 2 लाख रुपये और 1.5 लाख रुपये में 50,000 रुपये की और बढ़ोतरी की जानी चाहिए।

2. घरेलू बचत को फाइनेंशियल एसेट्स में बदलने पर ध्यान दें

विकास को बढ़ावा देने के लिए, हमारी अर्थव्यवस्था को निवेश की जरूरत है। निवेश या तो FDI से आ सकता है या घरेलू बचत को मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था से जोड़कर। फाइनेंशियल एसेट्स में निवेश की प्रक्रिया को आसान से आसान बनाई जानी चाहिए, जिससे कोई भी आसानी से निवेश कर सके। साथ ही सभी फाइनेंशियल एसेट्स के लिए एक सेंट्रलाइज्ड KYC प्रक्रिया होनी चाहिए। टैक्स सेविंग वाले म्यूचुअल फंड्स की सीमा को भी 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया जाना इस दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा।

3. वित्तीय साक्षरता और पर्सनल फाइनेंस पर जोर

दुनिया की करीब 17 फीसदी आबादी भारत में रहती है, इसमें से 65 प्रतिशत आबादी की उम्र 35 वर्ष से कम है। लेकिन फिर भी यहां वित्तीय साक्षरता दर मात्र 24 प्रतिशत है। स्कूल में पर्सनल फाइनेंस एक ऐसा विषय होना चाहिए जो उन नागरिकों के लिए एक आधार बना सके जो बचत को निवेश में लगा सकते हैं और अपने लिए और अर्थव्यवस्था के लिए धन का सृजन कर सकते हैं। आगामी बजट में इस दिशा में नीतिगत दिशा-निर्देश स्वागत योग्य कदम होगा।

4. बैंकों की पहुंच से दूर रही आबादी को जोड़ने वाली फिनटेक कंपनियों को प्रोत्साहन देना

इस देश की एक बहुत बड़ी आबादी अभी भी बैंकिंग सेवाओं की पहुंच से दूर हैं। कई फिनटेक कंपनियां इन आबादी तक टेक्नोलॉजी और दूसरे टूल्स की मदद से पहुंच कर माइक्रोक्रेडिट और लेडिंग जैसी औपचारिक सेवाएं मुहैया करा रही हैं। यह फाइनेंशियल इंक्लूजन की दिशा में एक बड़ा काम कर रही हैं। इस सेक्टर के लिए टैक्स इनसेंटिव, फंड तक आसान पहुंच जैसे कदम स्वागत योग्य होंगे।

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5. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) के लिए लॉक-इन अवधि कम करें

SGB ​​को फिजिकल गोल्ड की खरीद की मांग को कम करने और घरेलू बचत को वित्तीय बचत में ट्रांसफर करने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था। इसकी लॉक-इन अवधि को पांच साल से घटाकर तीन साल करने और तीन साल बाद बाहर निकलने पर LTCG का लाभ उठाने से घरों और व्यक्तियों के हाथ में पैसा वापस आ जाएगा। यह अर्थव्यवस्था में धन के संचलन को बढ़ाने में मदद करेगा जिससे अधिक खपत और निवेश होगा।

6. कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (CTT) हटाना

भारत फिजिकल गोल्ड सहित विभिन्न कमोडिटीज के सबसे बड़े बाजारों में से एक है। ऐसे में इसके पास कीमतों को स्वीकार करने की जगह, उसे नए सिरे से तय करने की क्षमता है। कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (CTT) को लागू किए जाने के बाद एक्सचेंजों पर वॉल्यूम में भारी गिरावट आई है और कई ट्रेडर्स ने अपना बेस दुबई जैसे अन्य स्थानों पर ट्रांसफर कर लिया है। बुलियन इंडेक्स, ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स, डिलीवरी सेंटर्स और वेयरहाउसिंग फैसिलिटी और हाल ही में घोषित इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज सहित अब हमारे काफी अधिक वित्तीय साधन हैं। ऐसे में CTT को माफ करने से भारतीय बाजारों में पर्याप्त भागीदारी और वॉल्यूम आएगा और इससे मिलने वाला टैक्स, CTT को थोपने के बाद हुई आमदनी से कहीं अधिक होगा।

परचेजिंप पावर पैरिटी (PPP) के मामले में भारतीय अर्थव्यवस्था तीसरे स्थान पर है और 7 पर्सेंट की रफ्तार से बढ़ रही है। देश में करीब 80 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं और 65 पर्सेंट आबादी की उम्र 35 वर्ष से कम है। भारत अभी काफी अच्छे जगह पर खड़ा है। मुझे आशा है कि आगामी बजट भारत को आगे बढ़ने के लिए तैयार करने और आने वाले वर्षों में इसकी क्षमता को पूरी तरह से उजागर करने के लिए एक बजट होगा।

- यह लेख मनीकंट्रोल के लिए जयप्रकाश गुप्ता ने लिखा है, जो धन (Dhan) के फाउंडर हैं। जय को कैपिटल मार्केट में एक दशक से अधिक का अनुभव है।

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