जयंत रॉय और रीताब्रता घोष
जयंत रॉय और रीताब्रता घोष
किसी वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आम तौर पर स्टील (Steel) की खपत बढ़ जाती है। वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही में स्टील की घरेलू मांग साल दर साल आधार पर 16.8 फीसदी बढ़ी। लेकिन चालू वित्त वर्ष (2021-22) के दौरान मानसून के बाद डिमांड में वृद्धि उम्मीद के मुकाबले कम रही है। इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में मांग में वृद्धि घटकर सिर्फ 9 फीसदी रह गई। इससे पता चलता है कि बीते महीनों में इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure) और कंस्ट्रक्शन (Construction) सेक्टर में स्टील की मांग घटी है। स्टील की घरेलू मांग में इन दोनों सेक्टर की करीब 60 फीसदी हिस्सेदारी है। बजट (Budget 2022) में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को ऐसे उपाय करने की जरूरत है, जिससे स्टील इंडस्ट्री में डिमांड बढ़े।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आवंटन बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही इस सेक्टर के प्रोजेक्ट्स के प्रोग्रेस की मॉनिटरिंग भी करनी होगी। ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर में भी हमें इन बातों का ध्यान रखना होगा। इससे वित्त वर्ष 2022-23 में घरेलू स्टील इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा। पिछले साल पेश बजट में वित्त वर्ष 2021-22 में सालाना पूंजीगत खर्च में 34.5 फीसदी वृद्धि का लक्ष्य तय किया गया था। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े सेक्टर खासकर-रेलवे, रोडवेज, अबर्न इंफ्रास्ट्रक्चर, अफोर्डेबल हाउसिंग और एनर्जी जैसे स्टील की ज्यादा खपत वाले सेक्टर में अच्छी ग्रोथ की उम्मीद थी।
लेकिन, वित्त वर्ष 2021-22 में उपर्युक्त सेक्टर में असल पूंजीगत खर्च बजट प्रस्ताव के मुकाबले काफी कम रहा है। इस वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के दौरान सरकार का पूंजीगत खर्च पूरे साल के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 49 फीसदी रहा। इससे ज्यादा चिंता की बात मानसून के बाद सरकार के पूंजीगत खर्च में आई कमी है। इसके चलते इस वित्त वर्ष में अक्टूबर और नवंबर के दौरान कुल पूंजीगत खर्च एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 41.2 फीसदी कम रहा है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में स्टील की डिमांड में कमजोर ग्रोथ के पीछे यह बड़ी वजह रही है।
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में स्टील की घरेलू मांग की ग्रोथ कमजोर रहने से स्टील की कीमतें पिछले साल अक्टूबर के अपने उच्चतम स्तर से 12 फीसदी तक गिर चुकी हैं। पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में पूंजीगत खर्च में सुस्ती और दिसंबर में ओमीक्रॉन शुरू होने से इस वित्त वर्ष के बाकी महीनों में पूंजीगत खर्च का लक्ष्य हासिल होने को लेकर संदेह बना हुआ है। इसलिए सरकार को हालात में सुधार के लिए अगले वित्त वर्ष के बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ज्यादा आवंटन करना होगा।
सरकार ने साल 2070 तक कार्बन उत्सर्जन शून्य स्तर पर लाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए स्टील उत्पादन के स्वच्छ तरीकों पर इन्वेस्टमेंट बढ़ाना होगा। भारत के 2017 के नेशनल स्टील पॉलिसी में वित्त वर्ष 2030-31 तक स्टील उत्पादन की क्षमता 60-65 फीसदी बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। इसके लिए किफायती ब्लास्ट फर्नेश रूट का इस्तेमाल होगा, जिसमें दुर्भाग्य से काफी ज्यादा कार्बन उत्सर्जन होगा। इसलिए कार्बन उत्सर्नज के शून्य स्तर के लक्ष्य को देखते हुए स्टील उत्पादन की क्लीन टेक्नोलॉजी में इन्वेस्टमेंट जरूरी है।
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