बजट 2023 : यूनियन बजट पेश होने में अब चंद दिन ही बाकी हैं। ऐसे में टैक्सपेयर्स की उम्मीदें बढ़ती जा रही हैं। 2024 में आम चुनाव होने हैं, इसलिए यह मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट है। टैक्सपेयर्स की कुछ उम्मीदें लंबे समय से बनी हुई हैं। सभी के मन में यही सवाल बना हुआ है कि क्या वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण उनकी उम्मीदों पर खरी उतरेंगी। वित्तमंत्री 1 फरवरी को Union Budget 2023 पेश करेंगी। जानिए नौकरीपेशा लोगों की सरकार से प्रमुख 6 उम्मीदें...
स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी
Standard deduction को वर्ष 2018 में सैलरीड लोगों के लिए आयकर को सरल बनाने के उपाय के रूप में पेश किया गया था और यह 50,000 रुपये पर तय किया गया था। यह एक तरह का विशेष डिडक्शन है और इसने मेडिकल और ट्रांसपोर्ट अलाउंस जैसे एग्जम्प्शंस की जगह ली है जो पहले सैलरीड टैक्सपेयर्स को दी जाती थी। इसे अन्य अलाउंस को मिलाकर 1,00,000 रुपये करने की मांग लगातार की जा रही है।
नए टैक्सेशन सिस्टम में बदलाव
New taxation regime : नए टैक्स सिस्टम को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश किया गया था और अब तक इसे कम ही लोगों ने अपनाया है। अभी तक हर व्यक्ति को पहले पुरानी और नए सिस्टम की अपने लिए उपयोगिता की जांच करनी होती है और ज्यादातर मामलों में पुराने टैक्स सिस्टम की तुलना में नए में कर का प्रभाव अधिक होता है। वास्तव में इसे सफल बनाने के लिए, टैक्स स्लैब में बदलाव की आवश्यकता है ताकि इसे अधिक टैक्सपेयर्स के लिए स्वीकार्य बनाया जा सके। मूल एग्जम्प्शन की धनराशि को बढ़ाना और दरों को कम करने के साथ-साथ प्रत्येक स्लैब के लिए टैक्स रेट्स में बदलाव कर इसे व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता है।
पुराने सिस्टम में बदलें स्लैब, 5 लाख हो बेसिक एग्जम्प्शन
कई साल से बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि, कॉस्ट ऑफ लिविंग कई गुना बढ़ चुकी है। Income Tax Act के सेक्शन 87ए के तहत सिर्फ उन्हीं इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स रिबेट (Tax Rebate) दी गई है, जिनकी इनकम 5 लाख रुपये से कम है। 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक आय पर 5 फीसदी, 5 लाख से ऊपर और 10 लाख से कम इनकम पर 20 फीसदी टैक्स देना होता है। हालांकि, 5 लाख से ज्यादा इनकम पर 12,500 रुपये की रिबेट नहीं मिलती है, जिससे टैक्स का बोझ बढ़ जाता है।
सेक्शन 80सी के तहत बढ़े डिडक्शन
deduction under section 80C : सेक्शन 80 सी जीवन बीमा, पीपीएफ, पीएफ और अन्य कर बचत के विकल्पों के संबंध में डिडक्शन का प्रावधान करता है और इसकी लिमिट 1.50 लाख रुपये है। यह लिमिट अब कई वर्षों से नहीं बदली है और इसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने की मांग लगातार की जा रही है।
सेक्शन 80डी के तहत बढ़े डिडक्शन
वर्तमान में 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए सेक्शन 80डी के तहत 25,000 रुपये तक हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम और 5,000 रुपये (लिमिट के भीतर) तक के हेल्थ चेकअप को एग्जम्प्शन हासिल है। हाल के वर्षों में भारत में इलाज की कॉस्ट और प्रीमियम खासे बढ़ गए हैं। इसलिए इस सेक्शन के तहत इलाज की कॉस्ट के लिए लिमिट 1 लाख रुपये तक बढ़ाई जानी चाहिए।
सेल्फ-ऑक्युपाइड और रेंटेंड प्रॉपर्टी पर इंटरेस्ट के लिए बढ़े डिडक्शन
अधिकांश शहरों में रियल एस्टेट बाजार में अपार्टमेंट की कीमतों में भारी उछाल देखा गया है। इसके साथ ही ब्याज दरों में बढ़ोतरी ने भी मौजूदा और नए दोनों तरह के होम बायर्स को प्रभावित किया है। हालांकि, Income Tax Act के तहत होम लोन पर ब्याज पर डिडक्शन कई साल से 2 लाख रुपये सीमित है। इसके अलावा, सेक्शन 80सी के तहत मूलधन पर 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन मिलता है। लेकिन पीएफ, बीमा, स्कूल फीस आदि को जोड़ लें तो यह लिमिट कम पड़ जाती है। इसीलिए, होम लोन के मूलधन के रिपेमेंट के संबंध में एक अलग डिडक्शन की मांग लंबे समय से हो रही है।
(Abhishek Aneja पेशे से सीए हैं)