Budget 2023: 1 फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा। बजट के दौरान कई ऐसे तकनीकी शब्द होते हैं। जिनको समझने में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बजट भाषण के दौरान टैक्स एक्जेम्पशन (Tax Exemption), टैक्स डिडक्शन (Tax Deduction) और टैक्स रिबेट (Tax Rebate) जैसे शब्द सुननो को मिलते हैं। ऐसे में बजट पेश होने से पहले इनके अर्थ समझना जरूरी है। बहुत से लोग हैं, जो इन तीन टर्म्स को लेकर अक्सर कन्फ्यूज रहते हैं। कई लोग टैक्स एक्जेम्पशन और डिडक्शन को एक ही समझ बैठते हैं। इन तीनों टर्म्स की परिभाषा और इस्तेमाल एक दूसरे से बहुत अलग हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से....
क्या है टैक्स एक्जेम्पशन?
इनकम के कई ऐसे स्रोत हैं जो टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं। यानी इस तरह के स्रोत से होने वाली इनकम पर कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं होती है। टैक्स देनदारी निकालते समय सैलरी से एक्जेम्प्ट इनकम को सबसे पहले घटाया जाता है। मान लीजिए हाउस रेंट अलाउंस (HRA) टैक्स के दायरे में नहीं आता है। इस तरह यह अलाउंस लेने पर आप टैक्स एक्जेम्प्शन क्लेम कर सकते हैं। सेक्शन 10(1) के तहत कृषि आय पर भी टैक्स से छूट है।
सैलरी से एक्जेम्प्ट इनकम घट जाने के बाद आपकी ग्रॉस टोटल इनकम आ जाती है। इसे डिडक्शन के जरिए और भी घटाया जा सकता है। डिडक्शन क्लेम करने के लिए आपको कुछ चुनिंदा विकल्पों में निवेश करना पड़ता है। कुछ खास तरह के खर्चों पर भी इसे क्लेम किया जा सकता है। जैसे इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत मौजूद विकल्पों में निवेश करने पर 1.5 लाख रुपये तक डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इस तरह के अन्य विकल्पों में टैक्स सेविंग फंड, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) जैसी योजनाएं शामिल हैं।
एक्जेम्पशन और डिडक्शन के बाद बचने वाली रकम कुल टैक्सेबल इनकम कही जाती है। इसी पर टैक्स देनदारी बनती है। टैक्स कैलकुलेट हो जाने के बाद रिबेट इनकम टैक्स के रूप में दी जाने वाली रकम में राहत मिलती है। यह टैक्स की वह रकम है जिसे टैक्सपेयर्स को देने की जरूरत नहीं है।