- अजीत कृष्णन
- अजीत कृष्णन
Budget 2024-25: भारत की आर्थिक ग्रोथ में इसके मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के विस्तार की बड़ी भूमिका है। महत्वाकांक्षी 'आत्मनिर्भर भारत' के मिशन के तहत सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग कौशल को मजबूत करने, मेक इन इंडिया के जरिए एक्सपोर्ट्स को बढ़ावा देने, इनोवेशन और निवेश को बढ़ावा देने, PLI स्कीम के जरिए इंडस्ट्रियों को भारत में निवेश करने और 'समर्थ उद्योग भारत 4.0' के जरिए कॉम्पिटीशन तेज करने के लिए हाल के कुछ सालों में काफी कदम उठाए हैं। इसे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का 'पुनर्जागरण काल' भी कहा जा सकता है। मैन्युफैक्चरिंग में तेजी से मर्जर एंड एक्विजिशन से जुड़ी गतिविधियों, आईपीओ मार्केट, प्राइवेट इक्विटी निवेश और वेंचर कैपिटल निवेश में काफी तेजी आई है।
इसके चलते मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अगले कुछ दशकों तक देश की आर्थिक ग्रोथ का इंजन बनने की क्षमता रखता है। ग्लोबल लेवल पर आए भू-राजनीतिक बदलावों को देखते हुए अब तमाम कंपनियां अपने सप्लाई चेन रणनीतियों का दोबारा मूल्यांकन कर रही हैं। वे किसी एक देश पर निर्भरता से जुड़े जोखिमों को कम करना चाहती है। ऐसे में भारत अपनी विशाल युवा आबादी, लागत दक्षता, रणनीतिक भौगोलिक स्थिति, बढ़ते इंफ्रास्ट्रक्चर और ईज ऑफ डूइंग से इन कंपनियों के लिए एक आकर्षक विकल्प के रूप में उभर रहा है।
क्यों बढ़ाया जाना चाहिए रियायती टैक्स सिस्टम?
भारत सरकार ने देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 31 मार्च तक मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने वाली नई घरेलू कंपनियों के लिए 15 प्रतिशत (प्लस सरचार्ज एंड सेस) टैक्स की रियायती टैक्स सिस्टम शुरू किया था। सभी नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए इस टैक्स रेट को लंबी अवधि तक बढ़ाने के कई फायदे हो सकते हैं-
- 15 प्रतिशत का टैक्स रेट भारत को दूसरे साउथ ईस्ट एशियाई देशों के साथ मुकाबले में खड़ा करता है।
- यह केवल टैक्स में छूट नहीं है, बल्कि खास तौर से उभरते सेक्टर्स में मैन्युफैक्चरिंग क्षमता का विस्तार करने, इंपोर्ट्स सब्सिट्यूशन को बढ़ावा देने, भारत के मैन्युफैक्चरिंग आकर्षण को बढ़ाने और युवा वर्कफोस के लिए पैसों के फ्लो और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए एक प्रोत्साहन है।
- यह आंत्रप्रेन्योरशिप के लिए लोगों को बढ़ावा देता है। स्टार्टअप और MSME क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करता है।
- हाल ही में आईपीओ की लहर (पिछले एक साल में आए 33% आईपीओ मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के थे) और शेयर बाजार में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का मजबूत मूल्यांकन निवेशकों के भरोसे को दिखाता है।
(अजीत कृष्णन, ईवाई इंडिया में टैक्स पार्टनर हैं। उनके विचार निजी हैं और इस पब्लिकेशन के रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
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