Budget 2024: बजट को लेकर जानेमाने बैंकर उदय कोटक की क्या हैं उम्मीदें?

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट पेश होने में सिर्फ दो दिन बाकी हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को लगातार अपना 7वां बजट पेश करेंगी। इस तरह वह वित्त मंत्री के तौर पर सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का मोराराजी देसाई रिकॉर्ड भी तोड़ देंगी। मोराराजी देसाई ने कुल 6 बजट पेश किए थे, जिनमें 5 पूर्णकालिक और एक अंतरिम बजट शामिल था

अपडेटेड Jul 21, 2024 पर 5:11 PM
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बजट से पहले उदय कोटक के पास वित्त मंत्री के लिए कुछ सलाह हैं, जो उन्होंने तकरीबन 7 महीने पहले भी साझा किया था।

Budget 2024: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट पेश होने में सिर्फ दो दिन बाकी हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को लगातार अपना 7वां बजट पेश करेंगी। इस तरह वह वित्त मंत्री के तौर पर सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का मोराराजी देसाई रिकॉर्ड भी तोड़ देंगी। मोराराजी देसाई ने कुल 6 बजट पेश किए थे, जिनमें 5 पूर्णकालिक और एक अंतरिम बजट शामिल था।

बजट 2024 से पहले एशिया के सबसे अमीर बैंकर उदय कोटक ने 'फाइनेंशियल सेक्टर मॉडल को लेकर भारत के सपने' को लेकर अपनी राय पेश की है। उन्होंने पिछले साल दिसंबर में शेयर की गई अपनी पोस्ट को फिर से शेयर किया है, जिनमें 2047 तक विकसित भारत बनने के सपने को लेकर कुछ सुझाव दिए गए हैं।

बजट 2024 के बारे में उदय कोटक ने क्या कहा

बजट से पहले कोटक के पास वित्त मंत्री के लिए कुछ सलाह हैं, जो उन्होंने तकरीबन 7 महीने पहले भी साझा किया था। उनके मुताबिक, भारत बचतकर्ताओं के देश से अब निवेशकों के देश में बदल रहा है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी हाल में कुछ ऐसी ही बात कही थी। उनका कहन था, 'बचतकर्ता, बॉरोअर और इनवेस्टर मॉडल के बीच मुकाबला चल रहा है। बचतकर्ता अब निवेश का आनंद उठा रहा है।' उनके मुताबिक, 1980 के शुरुआती दशक में भारत के लोगों का भरोसा फाइनेंशियल एसेट्स के बजाय गोल्ड और जमीन पर था। धीरे-धीरे बचत बैंक डिपॉजिट, UTI और LIC में शिफ्ट कर गया।


ग्रोथ का फॉर्मूला

कोटक ने टिकाऊ ग्रोथ के कुछ प्वाइंट्स बताए हैं। उनका कहना है कि इसके लिए हमें 80 के दशक के जापान को ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा, 'हमें पॉलिसी, रेगुलेशन, एजुकेशन और क्वालिटी पेपर की सप्लाई के जरिये 'बबल' से बचना चाहिए।'

डिविडेंड पर डबल टैक्सेशन की समीक्षा जरूरत

उदय कोटक के मुताबिक, डेट में टैक्स आर्बिट्राज को नजरअंदाज करना चाहिए। इसके अलावा, डिविडेंड पर डबल टैक्सेशन की समीक्षा की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'चूंकि बचतकर्ता अब निवेशक बन गए हैं, लिहाजा बैंकिंग सेक्टर को डिपॉजिट और फंडिंग कॉस्ट के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बड़े कॉरपोरेट सेक्टर को कैपिटल मार्केट्स (डेट और इक्विटी) की तरफ रुख करना होगा और बैंकों से अलग होना होगा।' कोटक का मानना है कि भारत सरकार को रेट्रॉस्पेक्टिव टैक्स (पिछली तारीख से लगाया जाने वाला टैक्स) और रेगुलेटरी रिजीम से बचने की जरूरत है।

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