Budget 2024-25: अगर आप निवेश करते हैं, फिर चाहे वो शेयर बाजार हो, म्यूचुअल फंड या फिर कोई प्रॉपर्टी। तो यह खबर आपके काम की है। सरकार ने बजट में कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gain Tax) में बदलाव का ऐलान किया है। कैपिटल गेन टैक्स यानी की आपके मुनाफे पर लगने वाला टैक्स। ये टैक्स भी 2 तरह का होता है। शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (Short-Term Capital Gain) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (Long-Term Capital Gain)। पहले हम लॉन्ग टर्म की बात करते हैं। लॉन्ग-टर्म यानी जब आप लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं।
LTCG टैक्स के साथ टैक्स छूट का ऐलान
सरकार ने सभी तरह के फाइनेंशियल एसेट्स पर अब लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (LTCG) को 12.5 फीसदी पर फिक्स कर दिया है। अभी तक शेयर और म्यूचुअल फंड पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस टैक्स 10 फीसदी था। लेकिन अब यूजर्स को इसपर 12.5 फीसदी टैक्स देना होगा। हालांकि यहां एक और अहम बात यह है कि आपको यह टैक्स तभी देना पड़ेगा, जब मुनाफा 1.25 लाख रुपये से अधिक हो।
वित्त मंत्री ने लॉन्ग-टर्म की परिभाषा भी साफ की
बजट में लॉन्ग-टर्म की परिभाषा भी साफ की गई है। वित्त मंत्री ने कहा कि जो लिस्टेड फाइनेंशियल एसेट्स हैं, उसे एक साल या उससे अधिक समय तक होल्ड करने पर, लॉन्ग टर्म निवेश माना जाएगा। इसमें शेयर, म्यूचअल फंड आदि आएंगे। वहीं अनलिस्टेड फाइनेंशियल या नॉन-फाइनेंशियल दोनों एसेट्स को अगर 2 साल या उससे अधिक समय तक होल्ड किया जाता है, तभी उसे लॉन्ग टर्म निवेश माना जाएगा।
चुनिंदा एसेट्स के STCG टैक्स हुआ 20%
हालांकि बॉन्ड, डिबेंचर या डेट म्यूचुअल फंड के निवेश पर यह होल्डिंग अवधि का नियम नहीं लागू होगा। इनसे जब भी आप मूनाफावसूली करेंगे तो आपको अपने टैक्स स्लैब से हिसाब से कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। इसके अलावा कुछ चुनिंदा एसेट्स पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेंस (STCG) टैक्स को अब 20 प्रतिशत कर दिया गया है।
प्रॉपर्टी की बिक्री पर 20% से घटकर 12.5% हुआ LTCG टैक्स
कैपिटल गेन टैक्स में एक बड़ा बदलाव प्रॉपर्टी को लेकर हुआ है। प्रॉपर्टी को 3 साल बाद बेचने पर अभी तक 20 प्रतिशत का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। हालांकि अब इसे घटाकर 12.5% करने का ऐलान किया गया है। यह पहली नजर में सुनने में एक बड़ी राहत लग सकती है। लेकिन इसमें एक पेंच भी है। अभी तक प्रॉपर्टी के मामले एक लोगों को इंडेक्सेशन बेनेफिट मिला था। लेकिन इस बार के बजट से इसे हटा दिया है। इंडैक्सेशन बेनेफिट में होता यह था आपकी प्रॉपर्टी की महंगाई दर के हिसाब से नई वैल्यू निकाली जाती थी, फिर उसके बाद जो रकम बचती थी, उसपर 20 फीसदी टैक्स लगता था।
इंडेक्सेशन बेनेफिट को समझें (Indexation Benefit for Property Sales)
उदाहरण से समझें की अगर आप ने 2014 में 50 लाख रुपये की एक प्रॉपर्टी खरीदी है और आज उसकी वैल्यू बढ़कर 2 करोड़ हो गई है। अब आप उस प्रॉपर्टी को बेचने जाते हैं, तो पहले के नियम से उस पर इंडेक्सेशन बेनेफिट लागू होता। यानी पहले महंगाई को ध्यान में रखकर आपके 50 लाख रुपये की नई वैल्यू लगाई जाती। मान लीजिए महगांई सूचकांक से एडजस्ट कर आपके 50 लाख की वैल्यू आज सवा करोड़ बन रही, तो फिर वह सवा करोड़ खरीद लागत मान ली जाती थी। वहीं बाकी बचे हुए 75 लाख रुपये पर 20% की दर से LTCG यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन लगता। लेकिन अब इस नियम को हटा दिया गया है।
इसकी जगह अब आप 2 करोड़ में 50 लाख वाली प्रॉपर्टी बेचेंगे, तो आपको पूरे 1.5 करोड़ के मुनाफे पर अब 12.5 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा। यानी टैक्स तो घटाया गया है, लेकिन साथ में इंडेक्सेशन बेनेफिट हटा लिया गया है। आप यहां पर कह सकते हैं कि सरकार ने एक हाथ से थोड़ा लाभ दिया है और दूसरे हाथ से ले लिया है।