Union Budget 2024 : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने इस थ्योरी को मानने से इनकार कर दिया है कि इंडिया की रिकवरी 'K-shaped' है। उन्होंने इंडिया की इकोनॉमिक ग्रोथ पर संदेह करने वाले लोगों से इस बारे में आधार पेश करने को कहा है। 25 जनवरी को दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। वित्तमंत्री ने कहा कि अभी मेनस्ट्रीम मीडिया या सोशल मीडिया में लोगों में गलत बातें फैलायी जा रही हैं। उन्होंने ऐसे लोगों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। वित्तमंत्री ने कहा कि चूंकि हम ओपन डेमोक्रेसी में भरोसा करते हैं जिससे हर व्यक्ति ऐसी बातचीत का हिस्सा बनता है। लेकिन, हमें नहीं पता कि इनमें से कितने लोगों के पास ठोस सबूत हैं।
वित्तमंत्री ने इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ को सबसे तेज बताया
वित्तमंत्री ने कहा, "मैं सिर्फ यह बताना चाहती हूं कि इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ सबसे तेज है, इंडिया में हर सेक्टर तेजी से ग्रोथ कर रहा है, स्टॉक मार्केट का प्रदर्शन बहुत अच्छा है। जो कंपनियां लिस्टेड है और जिनके अकाउंट्स सार्वजिनक रूप से देखने के लिए उपलब्ध हैं वे अच्छा कर रही हैं। वे ज्यादा डिविडेंड दे रही हैं। इसके बावजूद यह सुनने को मिलता है कि इंडियन इकोनॉमी का प्रदर्शन अच्छा नहीं है। यह बहुत खराब बात है। ऐसे कुछ सेक्टर्स हैं, जिनमें कमजोरी हैं, के-शेप्ड रिकवरी है।"
इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ अनुमान से ज्यादा
वित्तमंत्री ने कहा कि जो लोग ऐसी बातें करते हैं, मैं चाहती हूं कि वे सामने आए और बताएं कि किस आधार पर वे ऐसा कह रहे हैं। लेकिन, वे जवाब देने के लिए आगे नहीं आएंगे। वे सिर्फ अपनी बातें कहते हैं और गायब हो जाते हैं। वित्तमंत्री ने ये बातें तब कही हैं जब इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ अनुमान से ज्यादा रही है। स्टैटिस्टिक्स मिनिस्ट्री ने 5 जनवरी को कहा था कि वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी ग्रोथ 7.3 फीसदी रह सकती है। यह अनुमान के मुकाबले ज्यादा है।
रिकवरी में सिर्फ अमीर लोगों का हाथ
इकोनॉमिस्ट्स के बीच आम सोच यह रही है कि कोरोना की महामारी के बाद इंडियन इकोनॉमी की रिकवरी में अमीर लोगों का बड़ा हाथ है। व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाली चीजों के मुकाबले प्रीमियम गुड्स की मांग ज्यादा रही है। इसलिए इस ग्रोथ को 'के-शेप्ड' रिकवरी कहा जा रहा है। वित्तमंत्री के के-शेप्ड रिकवरी थ्योरी को खारिज करने से पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ग्रुप के चीफ इकोनॉमिस्ट सौम्य कांति घोष ने भी इस थ्योरी को मानने से इनकार कर दिया था। उन्होंने ऐसी बातें करने वाले लोगों को पूर्वाग्रह का शिकार बताया था।
अलग-अलग स्रोतों से जानकारी हासिल करने की सलाह
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 25 जनवरी को हिंदू कॉलेज के स्टूडेंट्स को अपने संबोधन में अलग-अलग स्रोतों से मैटेरियल और इंफॉर्मेशन हासिल करने को कहा। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक स्रोत पर भरोसा करने की जगह कई तरह के स्रोतों को देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इकोनॉमी का प्रदर्शन अच्छा है। उन्होंने कहा कि यह सही है कि इंडस्ट्री क्या चाहती है और ग्रेजुएट्स के पास क्या स्किल हैं, इसके बीच के फर्क को दूर करने की जरूरत है।
K-Shaped रिकवरी का मतलब क्या है?
आम तौर पर मंदी या किसी बड़ी क्राइसिस के बाद जब किसी इकोनॉमी के अलग-अलग सेक्टर की रिकवरी की रेट, रिकवरी का समय और रिकवरी का विस्तार अलग-अलग होता है तो इसे के-शेप्ड रिकवरी कहा जाता है। इसके उलट स्थिति में इकोनॉमी के अलग-अलग सेक्टर की रिकवरी की रफ्तार और समय एक समान होती है। के-शेप्ड रिकवरी की वजह से इकोनॉमी के स्ट्रक्चर पर असर पड़ता है।