वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट की सबसे खास बात रही कैपिटल गेंस टैक्स में इजाफा और फिस्कल डेफिसिट का 4.9 फीसदी का अनुमान। टैक्स में इजाफा के ऐलान से गिरने के बाद काफी हद तक मार्केट संभलने में सफल रहा। निफ्टी सिर्फ 30 अंक गिरकर बंद हुआ, जबकि सेंसेक्स में 73 अंक की गिरावट आई। एक समय निफ्टी करीब 500 अंक तक गिर गया था, जबकि सेंसेक्स 1000 प्वाइंट्स से ज्यादा लुढ़क गया था।
आगे मार्केट पर दिख सकता है दबाव
बुल मार्केट में निवेशक अक्सर फिक्र को धुएं में उड़ा देते हैं, जबकि मार्केट पर लॉन्ग टर्म के असर को लेकर अनिश्चितता रहती है। कैपिटल गेंस टैक्स के मामले में इंडिया हांगकांग और सिंगापुर जैसे देशों की कैटेगरी में आता है, जहां टैक्स के रेट्स कम हैं। पिछले कुछ समय से सेबी सहित दूसरे रेगुलेटर्स मार्केट की वैल्यूएशन को लेकर चिंता जता चुके हैं। सेबी चेयरमैन कई बार बढ़ते डेरिवेटिव कारोबार पर चिंता जता चुकी हैं।
सरकार ने कैपिटल गेंस टैक्स नहीं बढ़ाने की अपील ठुकराई
RBI गवर्नर कह चुके हैं कि बैंकों में डिपॉजिट ग्रोथ सुस्त पड़ गई है, क्योंकि लोगों का पैसा शेयर मार्केट में जा रहा है। कुछ छोटे आंत्रप्रेन्योर्स के लिए अपना बिजनेस या कंपनी चलाने की जगह शेयर मार्केट्स में निवेश करना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। वजह चाहे जो भी हो, यह स्पष्ट है कि सरकार ने ट्रेडर्स, इनवेस्टर्स, घरेलू और विदेशी निवेशकों की कैपिटल गेंस टैक्स नहीं बढ़ाने की गुजारिश ठुकरा दी है।
आगे लॉन्ग टर्म कैपिटल गैंस और बढ़ सकता है
इस बात की संभावना है कि आगे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स बढ़कर 15 फीसदी तक जा सकता है। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स 20 फीसदी हो गया है, जो 25 फीसदी के कॉर्पोरेट टैक्स के काफी करीब है। फाइनेंस सेक्रेटरी एस सोमनाथन ने हाल में सीएनबीसी को बताया था कि 60 फीसदी से ज्यादा कैपिटल गेंस टैक्स उन लोगों से आता है, जिनकी सालाना इनकम एक करोड़ रुपये से ज्यादा है।
फिस्कल डेफिसिट के नए टारगेट से बॉन्ग मार्केट खुश
हालांकि, सोमनाथन ने कैपिटल गेंस टैक्स में वृद्धि की संभावना से इनकार किया था, लेकिन निवेशकों को यह समझ लेना ठीक रहेगा कि यह आखिर में मार्जिनल टैक्स रेट के करीब पहंच जाएगा। स्टॉक मार्केट पर हो सकता है कि कैपिटल गेंस टैक्स बढ़ने का आगे असर नहीं दिखे लेकिन बॉन्ड मार्केट ने 4.9 फीसदी के फिस्कल डेफिसिट के टारगेट का स्वागत किया है। यह अंतरिम बजट के 5.1 फीसदी के टारगेट से कम है।
इंडिया का रेटिंग आउटलुक बढ़ सकता है
अगर सरकार फिस्कल डेफिसिट के टारगेट को हासिल कर लेती है तो रेटिंग एजेंसियां इंडिया का रेटिंग आउटलुक बढ़ा सकती हैं। सरकार ने पूंजीगत खर्च का अनुमान अंतरिम बजट के जितना बनाए रखा है। इसका मतलब है कि सरकार को उम्मीद है कि प्राइवेट सेक्टर पूंजीगत खर्च को लेकर अपनी जिम्मेदारी समझेगा। उम्मीद थी कि सरकार नए निवेश पर 15 फीसदी के रियायती टैक्स रेट को फिर से लागू करेगी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। सरकार का फोकस रोजगार के मौके बढ़ाने पर है।