सरकार फुल बजट में इनकम टैक्स के निचले स्लैब में आने वाले टैक्सपेयर्स को राहत दे सकती है। प्रमुख उद्योग चैंबर सीआईआई के हाल में चुने गए प्रेसिडेंट संजीव पुरी ने यह उम्मीद जताई है। उनका मानना है कि महंगाई काफी ज्यादा है ऐसे में फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के फुल बजट में सबसे कम टैक्स के स्लैब में आने वाले टैक्सपेयर्स को राहत मिल सकती है। पुरी आईटीसी के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। पिछले महीने उन्हें सीआईआई का प्रेसिडेंट चुना गया था। इस वित्त वर्ष के अंत तक वे सीआईआई के प्रेसिडेंट रहेंगे।
रिफॉर्म्स के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाया जाए
पुरी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में Budget 2024 सहित कई मसलों पर अपनी राय जताई। उन्होंने सभी रिफॉर्म्स (Reforms) को ठीक तरह से लागू करने के वास्ते एक प्लेटफॉर्म बनाने का सुझाव दिया। इस प्लेटफॉर्म का काम केंद्र और राज्यों के बीच रिफॉर्म्स पर सहमित बनाना होगा। इनमें जमीन, श्रम, पावर और कृषि से जुड़े रिफॉर्म्स भी शामिल होंगे। CII का मानना है कि केंद्र की गठबंधन सरकार का असर रिफॉर्म्स पर नहीं पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार सरकार बनाई है। लेकिन, यह सरकार NDA के सहोयगी दलों पर निर्भर है।
पब्लिक कैपिटल एक्सपेंडिचर पर फोकस जारी रहने की उम्मीद
सीआईआई का मानना है कि इंडियन इकोनॉमी का प्रदर्शन और पिछली दो सरकारों में सरकार ने जो पॉलिसी अपनाई है वह रिफॉर्म्स के प्रोसेस को तेज करने के लिए आधार का काम करेगी। फुल बजट से उम्मीदों के बारे में पूछने पर पुरी ने कहा, "मुझे लगता है कि अभी पब्लिक कैपिटल एक्सपेंडिचर, फिस्कल कंसॉलिडेशन पर फोकस, सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर में इनवेस्टमेंट के रोडमैप, ग्रीन फंड और रूरल सेक्टर में बड़े निवेश पर सरकार का फोकस होगा। "
रिटेल इनफ्लेशन पूरी तरह से काबू में आने के बाद ही इंटरेस्ट रेट में होगी कमी
मई में होलसेल प्राइस इंडेक्स पर आधारित इनफ्लेशन लगातार तीसरे महीने बढ़ा है। मई में यह 2.61 फीसदी पर पहुंच गया। अप्रैल में यह 1.26 फीसदी था। कॉमर्स मिनिस्ट्री ने 14 जून को इनफ्लेशन के डेटा जारी किए। इस महीने की शुरुआत में RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि केंद्रीय बैंक पॉलिसी के लेवल पर बड़ा बदलाव तभी करेगा, जब उसे रिटेल इनफ्लेशन के 4 फीसदी पर रहने का भरोसा हो जाएगा।
कैपिटल गेंस टैक्स के एक जैसे नियम होने चाहिए
पुरी ने टैक्स के बारे में कहा, "हमारा सुझाव यह है कि नियमों को आसान बनाने की प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए। कैपिटल गेंस को लेकर कुछ खास सुझाव हैं। अभी कैपिटल गेंस टैक्स के नियम अलग-अलग एसेट के लिए अलग-अलग हैं। क्या इन्हें तर्कसंगत नहीं बनाया जाना चाहिए?" उन्होंने कहा कि टीडीएस के मामले में भी कुछ गड़बड़ियां हैं। सीआईआई का मानना है कि इन्हें आसान बनाने की जरूरत है।