देश के कंज्यूमर इनफ्लेशन बास्केट के लिए अब साल 2024 बेस ईयर होगा। इकनॉमिक सर्वे 2023-24 में यह जानकारी दी गई है। सर्वे में कहा गया है कि सरकार प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स की उपलब्धता को तेज करने की दिशा में काम करेगी। सर्वे में कहा गया है, 'अहम आर्थिक आंकड़ों के बेस में बदलाव के लिए सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय व्यापक तौर पर काम कर रहा है। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के लिए बेस ईयर को 2012 से बढ़ाकर 2024 करने का काम शुरू किया गया है।'
मनीकंट्रोल ने इससे पहले खबर दी थी कि सरकार कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स बेस को बदलकर 2024 करने की तैयारी में है। मंत्रालय ने तमाम बाजारों में दुकानों की पहचान करने के लिए मार्केट सर्वे शुरू किया है। बेस ईयर के साथ-साथ कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में इस्तेमाल की जाने वाली कमोडिटीज में भी बदलाव की संभावना है। मौजूदा सीरीज में 2011-12 के आंकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है, जहां कई कमोडिटीज मसलन टेप रिकॉर्डर, वीसीआर और कैसेट अब प्रासंगिक नहीं रह गए हैं।
सर्वे में कहा गया है, 'गुड्स एंड सर्विसेज के लिए प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स तैयार करने के लिए चल रही मौजूदा कोशिशों को तेज किया जा सकता है, ताकि इनफ्लेशन को लेकर बेहतर तरीके से जानकारी हासिल हो सके।' भारत के पास फिलहाल होलसेल प्राइस इंडेक्स है, जो एक दशक से भी पुराना है। भारत जीडीपी और अन्य सीरीज के लिए भी बदलाव की तैयारी में है। सरकार सभी इंडिकेटर्स को एक बेस ईयर से जोड़ने की तैयारी में है।
मनीकंट्रोल ने कुछ समय पहले खबर दी थी कि नई जीडीपी सीरीज साल 2026 के शुरू से उपलब्ध हो जाएगी।